Friday, May 28, 2010

जवाब चाहिए

फूलों से कैसे दोस्ती बढाती है तितलियाँ क्यूँकर हाथों से फिसल जाती है मछलियाँ उड़ने को कैसे पंख फैलाती कोई चिड़िया 
बस्ते में मेरे कैसे सिमट सकती है दुनिया जी चाहता है मैना बुलबुल के गीत सुनने बारिश में भीगने का सपना लगा हूँ बुनने केवल तस्वीरों में टंगे देखे मैंने नदी झरने बंद कमरों में कौन आएगा कल कल का नाद भरने चारों तरफ है मेरे बंद कांच की खिड़कियाँ छूने को आसमां मचलती मेरी हथेलियाँ बैठूं न कभी छत पर देखी न मंदाकिनियाँ किताबों से कैसे नापूं चाँद तारों की दूरियां पंख तो है मेरे पास मुझे आकाश चाहिए मुझ जैसा ही नन्हा सा मुझे विश्वास चाहिए पिंजरे से बाहर खुली हवा का आभास चाहिए मन में उठते हर सवाल का मुझे ज़वाब चाहिए ।

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आपकी बहुत बहुत आभारी हूँ कि अपना बहुमूल्य समय देकर आपने मेरा मान बढाया ...सादर

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