Tuesday, November 27, 2012

जलता एक दिया


न जाने किस शह में उसका रहमोकरम छुपा हो
मुमकिन है बद्दुआ किसी की मेरे लिए दुआ हो

पासे तो हैं ऊंट न जाने किस करवट  बैठेंगे
खेलो तुम ऐसे कि जैसे जीवन इक जुआ हो

खार भी दामन पकड़ेंगे जब गुलशन से गुजरेंगे
भूल उन्हें यूँ चल देना फूलों ने जैसे छुआ हो

जब दौरे तूफाँ होंगे हम झुका के सर बैठेंगे
रहे भरम उसी के डर से मैंने सजदा किया हो

किसी मंदिर की हो चौखट या रहो में रहेंगे
है अरमां बस इतना कि जीवन जलता एक दिया हो

रेगिस्तानों में तो केवल वे ही फूल खिलेंगे
हर आंसू को जिसने मरहम समझ लिया हो 





Friday, November 16, 2012

इक पल कुंदन कर देना



तम हरने को एक दीप
तुम मेरे घर भी लाना
मृदुल ज्योति मंजुल मनहर
 धीरे से उर धर जाना

सिद्ध समस्या हो जाये
साँस तपस्या बन जाए
ऐसे जीवन जुगनू को
सुन साधक तप दे जाना

रूप वर्तिका मैं पाऊं
स्नेह समिधा हो जाऊं
तार तार की ऐंठन से
यूँ मुक्त मुझे कर जाना

तुच्छ हीन मैं अणिमामय
क्षणजीवी पर गरिमामय
भस्म भले परिनिर्णय हो
इक पल कुंदन कर देना 



चित्र गूगल से साभार 

Tuesday, November 6, 2012

राजस्थान लेखिका सम्मलेन २०१२

दो दिन का उदयपुर प्रवास ....सार्थक चर्चा सत्रों में भाग लेने का मौका मिला  उन्हीं की यादें  .....








महामहिम गुजरात राज्यपाल श्रीमती कमला जी ,साहित्य अकादमी अध्यक्ष श्री वेद व्यास जी एवं सुखाडिया यूनिवर्सिटी के वी . सी. 











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