Sunday, June 24, 2012

दिन मनचीते


सावन सिंचित फागुन भीगे
कब दिन आयेंगे मनचीते 

मन मृगतृष्णा हुई बावरी
पनघट ताल सरोवर रीते

धेनु वेणु बिन हे सांवरिया
कहो राधिका किस पर रीझे


मन के गहरे पहुंचे कैसे
ऊंची इन गलियन दहलीजें

प्रेम पले पीपल की छैंया
कोई ऐसा बिरवा सींचे


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इस ब्लॉग पर प्रकाशित सभी रचनाएं स्वरचित हैं तथा प्रतिष्ठित पत्र पत्रिकाओं यथा राजस्थान पत्रिका ,मधुमती , दैनिक जागरण आदि व इ-पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुकी हैं . सर्वाधिकार लेखिकाधीन सुरक्षित हैं