कण कण के श्रृंगार हुए हैं
मौसम के मनुहार हुए हैं
मन बौराई आम्र मंजरी
सपने हार सिंगार हुए हैं
मुदित हुआ हर रोम रोम
अंग फूले कचनार हुए हैं
छूकर गुजरी पवन बसंती
पुष्प पीत रतनार हुए हैं
रंगों के मेले धरती पर
इन्द्रधनुष साकार हुए हैं
क्यारी क्यारी मधुकर नंदन
गुंजन मधुर सितार हुए हैं
तितली की पैंजनिया छनकी
आँगन फाग धमार हुए हैं
डाल डाल कोयलिया काली
मन हुलसित मतवार हुए हैं
उम्दा प्रस्तुति…………बसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनायें।
ReplyDeleteबहुत ही बढ़िया ।
ReplyDeleteबसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएँ।
सादर
सुन्दर अभिव्यक्ति......
ReplyDeletekhila mann, khili prakriti ... basant kee muskaan hai her taraf
ReplyDeleteबहुत खूब! भावों को शब्दों में लाज़वाब संजोया है..बसन्त पंचमी की हार्दिक शुभकामनायें!
ReplyDeleteबसंत पर खूबसूरत गीत ... शुभकामनाएं
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर प्रस्तुति ।
ReplyDeleteआपको वसंत पंचमी की ढेरों शुभकामनाएं!
बहुत सुन्दर प्रस्तुति... बसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएँ
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर !
ReplyDeleteशब्दों से ध्वनि और चित्र दोनों उभर रहे हैं।
पवन वसंती कविता पढ़कर
ReplyDeleteदिल से हम आभार हुये हैं,
bahut hisundar aur manmohak rchna,bdhaai....
ReplyDeleteसुन्दर बसन्तिक रचना...बधाई..
ReplyDeleteवासंती बन गई है पूरी रचना.वाह वाह.
ReplyDeleteबहुत सुंदर!
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर भाव संयोजन ।
ReplyDeleteबसंती पवन है तो फिर मतवाला मन भला कैसे न हो ..? मन-मुदित कर रही है आपकी लेखनी .
ReplyDeleteबहुत खूब बसंतिक रचना,लाजबाब प्रस्तुती.
ReplyDeletemy new post...40,वीं वैवाहिक वर्षगाँठ-पर...
वसंत का सुन्दर चित्रण.......
ReplyDeleteनेता,कुत्ता और वेश्या
'shabd' chayan bahut shaandar hai. geyta mein koi kami nahi hai. mohak prastuti!
ReplyDeletemudit huaa har rom rom, ang phoole kachnaar huei hain, bahut sundar.