Friday, January 27, 2012

पवन बसंती




कण कण के श्रृंगार हुए हैं
मौसम के मनुहार हुए हैं

मन बौराई आम्र मंजरी
सपने हार सिंगार हुए हैं

मुदित हुआ हर रोम रोम
अंग फूले कचनार हुए हैं

छूकर गुजरी पवन बसंती
पुष्प पीत रतनार हुए हैं

रंगों के मेले धरती पर
इन्द्रधनुष साकार हुए हैं

क्यारी क्यारी मधुकर नंदन
गुंजन मधुर सितार हुए हैं

तितली की पैंजनिया छनकी
आँगन फाग धमार हुए हैं


डाल डाल कोयलिया काली
मन हुलसित मतवार हुए हैं 



                                                                       

Sunday, January 22, 2012

वो आदमी



वो एक आदमी
जिसने पहली बार
सिर झुका कर
ईश्वर को पुकारा होगा
वो एक आदमी
जिसने पत्थर मे
भगवान तराशा होगा
वो एक आदमी
जिसने पहली बार
आस्था का बीज बोया होगा
जरूर उस आदमी से
बहुत अच्छा होगा
जिसने तोडा होगा
पहली बार
किसी के जीने का संबल
बहुत बुरा होगा
वह आदमी
जिसने
निराशा का आविष्कार किया होगा
और जिसने
आंसुओं को
निरा पानी बताया होगा 

Monday, January 16, 2012

वो आँखे



वो आँखे
कितनी खुश थीं
ढेरो मिठाई बंटी
बड़ी देर तक
काँसे की थाली बजी थी
हर एक पल रोमांच था
जब तुमने
कुछ नया किया था
अंगुली थाम चलना
स्कूल का पहला दिन
गठ-बंधन जोड़े
तुम्हारी दुल्हन की
पायल का छनकना
आँखे हर बार छलकी
खुशी से
लेकिन अब
तुम आसमां के
परिंदे बन
चले गए हो
अपने नन्हों के
स्वर्णिम भविष्य के लिए
शहरी घोंसलों में
न वापस लौटने के लिये
आँखे अब भी छलक जाती हैं
जब
सहारे के लिये
कांपती ऊँगली तरस जाती है
क्या कभी भाँप सकोगे
बाबा की आँखों की गहन उदासी
कभी सुन सकोगे
माँ की साँसों की आवाज
कभी चली
कभी थमी सी .....

Monday, January 9, 2012

गौरैया भी.....















जुटा लिया है
मैंने
भविष्य से
आँख मिलाने का साहस
अतीत के
 डैनों के नीचे
कब तक
सुरक्षित रहूंगी मैं
बाज हैं
रहें वे
गौरैया भी
 पँख पसारेगी ही .....
















picture source :google image 

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