Friday, May 15, 2015

न डर तू सलोनी....




बहुत तेज है धूप संसार की
सुलभ छाँव तेरे लिए प्यार की
उदासी मिटा वेदना मैं हरूँ
अरी लाडली तू बता क्या करूँ

व्यथा पीर आये सताए मुझे
मगर आँच छूने न पाए तुझे
न डर तू सलोनी कि मैं साथ हूँ
धरे आज काँधे सबल हाथ हूँ

सुना था कि कहते तुझे सब सदय
धरा जब हिली तो न कांपा हृदय
बता लेख कैसे विधाता लिखा
कहीं क्रूर कुछ भी न तुझको दिखा

सरलमन बहन तू सरस काव्य है
मधुरतम प्रियंकर व स्तुत भाव्य है
बड़ा तो नहीं मैं मगर  भ्रातृ हूँ
सुरक्षा वचन से बँधा कर्तृ हूँ 

              -वंदना 






चित्र गूगल से साभार 
इस चित्र पर कविता आयोजन भी नेट से साभार 

Followers

कॉपी राईट

इस ब्लॉग पर प्रकाशित सभी रचनाएं स्वरचित हैं तथा प्रतिष्ठित पत्र पत्रिकाओं यथा राजस्थान पत्रिका ,मधुमती , दैनिक जागरण आदि व इ-पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुकी हैं . सर्वाधिकार लेखिकाधीन सुरक्षित हैं