Friday, November 13, 2020

दीवाली के दोहे

 बांह पकड़ कर दीप की 

बोली नई कपास

गीत लिखेगी रोशनी 

ले स्नेहिल विश्वास

आभा का  संकल्प ले

जले देहरी दीप

नव आशाएं उर धरे

जैसे मोती सीप

  

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इस ब्लॉग पर प्रकाशित सभी रचनाएं स्वरचित हैं तथा प्रतिष्ठित पत्र पत्रिकाओं यथा राजस्थान पत्रिका ,मधुमती , दैनिक जागरण आदि व इ-पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुकी हैं . सर्वाधिकार लेखिकाधीन सुरक्षित हैं