Wednesday, December 15, 2021

रसमयी किलकारियां

 पंछियों के गीत का तुम साथ देते साज हो

 खिलखिलाते मस्त झरनों की मधुर आवाज हो

दीप पूजा थाल के हो या सुवासित धूप हो

रंग बिखराते हँसी के सुरधनुष का रूप हो

ये पुलक ये मस्तियाँ  सब ख़ास इक अंदाज है

क्यों करें कल पर मनन जब खुशनुमा सब आज है

हो खिलौनों की कमी पर जो मिला वो खास है

राजसी हैं ठाठ अपने मुस्कुराती आस है

धूल से गर हैं सने हम गोद मिट्टी की मिली

शुद्ध भावों की नमी से हर कली फूली खिली

गूँजती हैं सुन फ़िजा में रसमयी किलकारियां

फूल हैं या बाग़ में ये खेलती हैं तितलियाँ

-    वंदना   

Thursday, November 4, 2021

शुभकामना

 चौक चौक चन्दन चर्चित हो

         दिव्य ज्योत हो पावन

नई सोच के अभिनंदन से

         आलोकित घर आंगन


स्नेह शेष रहे जीवन भर

          नवल विभा मुस्काये

आत्मदीप्त हों जुगनू के सम

         गीति स्वस्तिक गाये


मुक्त वर्तिका हो ऐंठन से

         स्नेहसिक्त ज्योतिर्मय

क्षणभंगुर नश्वर जीवन का

          हर पल हो मंगलमय

        


Saturday, September 25, 2021

कश्ती न ये जादुई बादबानी

 (भुजंग प्रयात छंद)


ज़माना कहेगा जिसे मां भवानी


अनूठी रहे याद ऐसी निशानी


पढूंगी बढूंगी रुकूंगी कभी ना


बनूं प्रेरणा मैं लिखूं वो कहानी


खिलें यत्न मेरे चली मैं अकेेली


भले नाव मेरी हवा की सहेली


चुनौती सभी जीतना चाहती हूं


कि कश्ती न ये जादुई बादबानी


मुझे व्याधि आंधी न कोई सताये


नदी पार आशा बुलाए रिझाये


इरादे भरोसे स्वयंसिद्ध मेरे


मिली शक्ति कोई मुझे आसमानी

 - वंदना

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