रंग पलाशी भीनी
पुलकन
चलो चुगें बासंती
खुरचन
गालों पर चटकी
अरुणाई
झाँक झरोखे से
मुस्काई
ओट ओढ़नी की शरमाई
उषा किरण सी प्यारी
दुल्हन
गुल गुलाल से अंग
महकते
फाग रागिनी सभी
बहकते
ढोल बाँसुरी चंग
चहकते
बूढ़े बच्चे चलें
ठुमकते
मन उपवन सब नंदन
नंदन
मधुर मधुर मिश्री की
डलियां
फागुन की अल्हड़
कनबतियां
रागरंग में डूबी
सखियाँ
मस्त मस्त हैं मधुकर
कलियाँ
आज न आड़े कोई अडचन
Bahut Sunder
ReplyDeleteसुंदर अभिव्यक्ति...बासंती रंग में रंगी एक अच्छी रचना...
ReplyDeleteबहुत सुंदर अभिव्यक्ति...।
ReplyDeleteशानदार भावसंयोजन , बढ़िया है आपको बहुत बधाई
ReplyDeleteमधुर मधुर मिश्री की डलियां
ReplyDeleteफागुन की अल्हड़ कनबतियां
रागरंग में डूबी सखियाँ
मस्त मस्त हैं मधुकर कलियाँ
आज न आड़े कोई अडचन ..
फागुन की खुशियाँ यूँ ही बिखेर दीं आपने शब्दों के जरिये ...
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति ...
बहुत ही प्यारी ध्वनि आ रही इस कविता से.
ReplyDelete.बासंती रंग में रंगी रचना...
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