ग़ज़ल या गीत हो अय्यारियाँ नहीं चलतीं
फ़कत ही लफ्जों की तहदारियाँ नहीं चलतीं
ये सोच कर ही बढ़ाना उधर कदम हमदम
जुनूं की राह में फुलवारियाँ नहीं चलतीं
न काम आये हैं घोड़े न हाथी काम आयेंगे
बिसाते-दहर पे मुख्तारियाँ नहीं चलतीं
कशीदे से लिखी जाती थी प्यारी तहरीरें
घरों में अब तो वो गुलकारियाँ नहीं चलतीं
सफ़र वही रहे आसां कि हमकदम जिनके
चलें तो कूच की तैयारियाँ नहीं चलतीं
रिवाजे-नौ तेरी राहों की आजमाइश में
चलन हो नेक तो दुश्वारियां नहीं चलतीं
मिटा दे फासले अब तो सभी ये तू मैं के
‘दिलों के खेल में खुद्दारियाँ नहीं चलतीं’
तरही मिसरा आदरणीय शायर कैफ भोपाली साहब का
खूबसूरत ग़ज़ल बनी है.
ReplyDeleteन काम आये हैं घोड़े न हाथी आयेंगे
ReplyDeleteबिसाते-दहर पे मुख्तारियाँ नहीं चलतीं
कशीदे से लिखी जाती थी प्यारी तहरीरें
घरों में अब तो वो गुलकारियाँ नहीं चलतीं
बहुत ख़ूब....बहुत बेहतरीन गजल हुई है...सभी शेर अच्छे बने हैं...दिली मुबारकबाद!
ये सोच कर ही बढ़ाना उधर कदम हमदम
ReplyDeleteजुनूं की राह में फुलवारियाँ नहीं चलतीं ..
बहुत ही ख़ूबसूरत शेर है इस लाजवाब ग़ज़ल का .... मज़ा आया पूरी ग़ज़ल का ... बधाई ...
ये सोच कर ही बढ़ाना उधर कदम हमदम
ReplyDeleteजुनूं की राह में फुलवारियाँ नहीं चलतीं ..
........... लाजवाब ग़ज़ल :)
ये सोच कर ही बढ़ाना उधर कदम हमदम
ReplyDeleteजुनूं की राह में फुलवारियाँ नहीं चलतीं
..वाह...सभी अशआर बहुत उम्दा...बहुत ख़ूबसूरत ग़ज़ल
बढ़िया ग़ज़ल
ReplyDeleteबहुत सुन्दर ग़ज़ल ...
ReplyDeletewaaah .....
ReplyDeleteमंगलकामनाएं आपको !
बेहतरीन गज़ल
ReplyDeleteमिटा दे फासले अब तो सभी ये तू मैं के
ReplyDelete‘दिलों के खेल में खुद्दारियाँ नहीं चलतीं’
बेहतरीन ग़ज़ल कही है ।
जितनी अच्छी रचना, उतना ही अच्छा ब्लाग का लुक।
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