मसला गया गुलाब कहानी छोड़ गया है
हथेली में खुशबू निशानी छोड़ गया है
फलसफा इश्क का कि मेहर खुदा की लिखता
क्यों दर्द का दरिया ज़बानी छोड़ गया है
हर कदम पर रूह उसकी छलनी हुई होगी
वसीयत अगर साफबयानी छोड़ गया है
तमाम जिंदगी वो पेड़ सर झुकाए रहा
वक्ते रुखसत नज़र सवाली छोड़ गया है
बिना वज़ह नहीं रुकने लगे गली के लोग
घर अकेली बिटिया सयानी छोड़ गया है !
हथेली में खुशबू निशानी छोड़ गया है
फलसफा इश्क का कि मेहर खुदा की लिखता
क्यों दर्द का दरिया ज़बानी छोड़ गया है
हर कदम पर रूह उसकी छलनी हुई होगी
वसीयत अगर साफबयानी छोड़ गया है
तमाम जिंदगी वो पेड़ सर झुकाए रहा
वक्ते रुखसत नज़र सवाली छोड़ गया है
बिना वज़ह नहीं रुकने लगे गली के लोग
घर अकेली बिटिया सयानी छोड़ गया है !
बिना वज़ह नहीं रुकने लगे गली के लोग
ReplyDeleteघर अकेली बिटिया सयानी छोड़ गया है !
-वाह!! बहुत बेहतरीन शेर निकाले हैं, बधाई.
आपके बेहतरीन शे'रों के लिए दिली बधाई !
ReplyDeleteबिना वज़ह नहीं रुकने लगे गली के लोग
ReplyDeleteघर अकेली बिटिया सयानी छोड़ गया है !
बहुत सुन्दर और तल्ख भी
हर शेर लाजवाब
bahut badhia rachnaen hain, padh kar kafee sukoon mila. aur likhiye, achchha lagega
ReplyDeleteall the best