Tuesday, January 14, 2014

उलटी शिकायतें


महफ़िल की असलियत ये दिल पहचान तो गया

समझे गए मसीहा वो क्यूँ जान तो गया

पुरजे उड़ा के जब मेरी शख्सियत के कहा

उलटी शिकायतें हुई एहसान तो गया 



(तजमीनी कता : उलटी शिकायतें हुई एहसान तो गया)

7 comments:

  1. सुन्दर पंक्तियाँ और चित्र भी बहुत प्यारा है.

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  2. सुन्दर मुक्तक ,भाव भी सुन्दर !
    मकर संक्रान्ति की शुभकामनाएं !
    नई पोस्ट हम तुम.....,पानी का बूंद !
    नई पोस्ट बोलती तस्वीरें !

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  3. वाह.....
    क्या खूब कहा!!!

    सस्नेह
    अनु

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  4. अजी ,वाह!वाह!वाह!

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  5. वाह....सुन्दर मुक्तक सुन्दर भाव

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  6. बहुत सुन्दर लिखा है आपने |वंदना जी आभार

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आपकी बहुत बहुत आभारी हूँ कि अपना बहुमूल्य समय देकर आपने मेरा मान बढाया ...सादर

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