Saturday, August 24, 2013

इक दर्पण रहे तो ...!!

संबंधों के बीच  

इक दर्पण रहे तो कैसा हो

जो तोड़ता हो दर्प को

बस

ऐसा हो  

करें कभी हम शिकायत
 
हमें चेहरा दिखा दें

रिश्तों की आजमाइश में

पलटकर मुँह चिढ़ा दें

और जो टूटे कभी तो

उसकी किरचियाँ

मेरे कद पर

मेरे किरदार पर

बढ़ चढ़ के बोलें

चाहे कुछ भी हो जाये

मगर बस सच ही तोले 


13 comments:

  1. सच....रिश्ता पारदर्शी हो तो निभेगा ही....

    सुन्दर भाव..

    अनु

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  2. आपके विचारो से सहमत हूँ
    अगर ऐसा हो जाये तो
    खुशियां ही खुशियां हो
    हार्दिक शुभकामनायें

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  3. वाह .... बहुत ही सुंदर बात कही

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  4. फिर तो जीने का मजा ही कुछ और हो जाएगा..

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  5. बहुत ही बढ़िया तरीके से जीवन में आईने के महत्व को प्रदर्शित किया है ..वाकई कोई ऐना जरुर चाहिए जिन्दगी में

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  6. बहुत सुन्दर भाव..

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  7. खुबसूरत अभिवयक्ति..

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  8. वाह !!! बहुत ही सुंदर भाव लिए रचना,,,

    RECENT POST : पाँच( दोहे )

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  9. हमारा अंतर्मन ही सबसे सच्चा दर्पण होता है
    सुन्दर रचना !

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  10. बहुत खूबसूरत सोच...

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  11. रिश्तों का सच सामने आ जाए ... काश ऐसा हो जाए ... गहरा एहसास लिए ...

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आपकी बहुत बहुत आभारी हूँ कि अपना बहुमूल्य समय देकर आपने मेरा मान बढाया ...सादर

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