पाती सावन की आई
नीम निमोली गदराई
थिरक रहे मन मोर कहीं
कहीं झूमे प्रेम हिंडोले
रोमांच हुआ धरती आँगन
भीगे कंठ पपीहे बोले
मेहँदी राचे हाथ सखी
झूलों ने पेंग बढाई
पाती सावन की आई
नीम निमोली गदराई
हो रहे हवा के चपल पंख
मुख कोयल के रसधार बहे
चांदी के घुंघरु बांधे दूब
बिजुरी ने हाथों साज गहे
मल्हार राग गूंजे सितार
हर शाख नाच इतराई
पाती सावन की आई
नीम निमोली गदराई
-वंदना
सुन्दर !!
ReplyDeleteवाह.....
ReplyDeleteसावन का सुख.......
बहुत सुन्दर!!!
अनु
सावन का बहुत सुंदर मनोहारी वर्णन ...
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर ।
बहुत सुंदर.......
ReplyDeleteनीम तो खिली हुई ही हर जगह ... सावन की फुहार भी है ऐसे में मल्हार तो प्राकृति ने छेड राखी है ... और मनभावन शब्द आपने ...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर!!!
ReplyDeleteबहुत सुंदर वर्णन !!
ReplyDeletelatest post नेताजी सुनिए !!!
latest post: भ्रष्टाचार और अपराध पोषित भारत!!
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
ReplyDeleteआपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि का लिंक आज सोमवार (12-08-2013) को गुज़ारिश हरियाली तीज की : चर्चा मंच 1335....में "मयंक का कोना" पर भी है!
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
अच्छी कविता!
ReplyDeleteबहुत उम्दा
ReplyDeleteसुंदर, बहुत सुंदर चित्रण .....
ReplyDeletebhaut hi khubsurat....
ReplyDeleteक्या बात क्या बात
ReplyDeleteबहुत सुन्दर मनभावन प्रस्तुति...
ReplyDeleteवाह ... बेहतरीन
ReplyDeleteबचपन की याद ताजा हो आई।
ReplyDeleteसुन्दर एवं भावपूर्ण रचना।
कुछ हरे-भरे आम के बगीचों पर भी रचिए..
सुन्दर अहसास लिए सुंदर कविता.
ReplyDeleteहिंदी ब्लॉगर्स चौपाल {चर्चामंच} के शुभारंभ पर आप को आमंत्रित किया जाता है। कृपया पधारें आपके विचार मेरे लिए "अमोल" होंगें | आपके नकारत्मक व सकारत्मक विचारों का स्वागत किया जायेगा |
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर ...
ReplyDeleteसावन का बहुत ही सुंदर मनोहारी वर्णन ...
हल्की-हल्की बूंदों के एहसास जैसी
ReplyDeleteकोमल सुखदायी रचना