Saturday, August 10, 2013

नीम निमोली गदराई

 


                 
पाती सावन की आई
नीम निमोली गदराई

थिरक रहे मन मोर कहीं
कहीं झूमे प्रेम हिंडोले
रोमांच हुआ धरती आँगन
भीगे कंठ पपीहे बोले
मेहँदी राचे हाथ सखी
झूलों ने पेंग बढाई
पाती सावन की आई
नीम निमोली गदराई

हो रहे हवा के चपल पंख
मुख कोयल के रसधार बहे
चांदी के घुंघरु बांधे दूब
बिजुरी ने हाथों साज गहे
मल्हार राग गूंजे सितार
 हर शाख नाच इतराई 
पाती सावन की आई
नीम निमोली गदराई
-वंदना

20 comments:

  1. वाह.....

    सावन का सुख.......
    बहुत सुन्दर!!!

    अनु

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  2. सावन का बहुत सुंदर मनोहारी वर्णन ...
    बहुत ही सुंदर ।

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  3. नीम तो खिली हुई ही हर जगह ... सावन की फुहार भी है ऐसे में मल्हार तो प्राकृति ने छेड राखी है ... और मनभावन शब्द आपने ...

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  4. बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
    आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि का लिंक आज सोमवार (12-08-2013) को गुज़ारिश हरियाली तीज की : चर्चा मंच 1335....में "मयंक का कोना" पर भी है!
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  5. सुंदर, बहुत सुंदर चित्रण .....

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  6. क्या बात क्या बात

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  7. बहुत सुन्दर मनभावन प्रस्तुति...

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  8. वाह ... बेहतरीन

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  9. बचपन की याद ताजा हो आई।
    सुन्दर एवं भावपूर्ण रचना।
    कुछ हरे-भरे आम के बगीचों पर भी रचिए..

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  10. सुन्दर अहसास लिए सुंदर कविता.

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  11. हिंदी ब्लॉगर्स चौपाल {चर्चामंच} के शुभारंभ पर आप को आमंत्रित किया जाता है। कृपया पधारें आपके विचार मेरे लिए "अमोल" होंगें | आपके नकारत्मक व सकारत्मक विचारों का स्वागत किया जायेगा |

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  12. बहुत ही सुंदर ...
    सावन का बहुत ही सुंदर मनोहारी वर्णन ...

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  13. हल्की-हल्की बूंदों के एहसास जैसी
    कोमल सुखदायी रचना

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आपकी बहुत बहुत आभारी हूँ कि अपना बहुमूल्य समय देकर आपने मेरा मान बढाया ...सादर

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