संबंधों के बीच
इक दर्पण रहे तो
कैसा हो
जो तोड़ता हो दर्प को
बस
ऐसा हो
करें कभी हम
शिकायत
हमें चेहरा दिखा दें
रिश्तों की आजमाइश
में
पलटकर मुँह चिढ़ा दें
और जो टूटे कभी तो
उसकी किरचियाँ
मेरे कद पर
मेरे किरदार पर
बढ़ चढ़ के बोलें
चाहे कुछ भी हो जाये
मगर बस सच ही तोले
image:with thanks http://ilovethat.deviantart.com/art/broken-mirror-35499345
सच....रिश्ता पारदर्शी हो तो निभेगा ही....
ReplyDeleteसुन्दर भाव..
अनु
आपके विचारो से सहमत हूँ
ReplyDeleteअगर ऐसा हो जाये तो
खुशियां ही खुशियां हो
हार्दिक शुभकामनायें
वाह!
ReplyDeleteवाह .... बहुत ही सुंदर बात कही
ReplyDeleteफिर तो जीने का मजा ही कुछ और हो जाएगा..
ReplyDeleteबहुत ही बढ़िया तरीके से जीवन में आईने के महत्व को प्रदर्शित किया है ..वाकई कोई ऐना जरुर चाहिए जिन्दगी में
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर
ReplyDeleteबहुत सुन्दर भाव..
ReplyDeleteखुबसूरत अभिवयक्ति..
ReplyDeleteवाह !!! बहुत ही सुंदर भाव लिए रचना,,,
ReplyDeleteRECENT POST : पाँच( दोहे )
हमारा अंतर्मन ही सबसे सच्चा दर्पण होता है
ReplyDeleteसुन्दर रचना !
बहुत खूबसूरत सोच...
ReplyDeleteरिश्तों का सच सामने आ जाए ... काश ऐसा हो जाए ... गहरा एहसास लिए ...
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