खयाल था कि दरीचे
बदल के देखते हैं
कहाँ हुए गुम रास्ते
निकल के देखते हैं
उन्हें सिखाकर चालें
हवा हुई गुम थी
मगर आज़ाद परिंदे मचल
के देखते हैं
निगाह की जद के ये मेरे हंसीं सपने
इरादतन रंगे धनक ढल
के देखते हैं
जुनून है उनका या
मुगालता हद है
तमाम रात चिराग जल
के देखते हैं
मिसाल हों इन
रास्तों कदम तेरे साथी
रवायतन पगपग जो संभल
के देखते हैं
न धूप से न गिला छाँव
से कोई हमको
लिए नशेमन काँधे टहल
के देखते हैं
सुनो ग़ज़ल लिख पायें
कि काश आप कहें
अभी कुछ और करिश्मे
ग़ज़ल के देखते हैं
रवायतें गर राहत न
दे सकें हमको
चलो लकीर हम सभी बदल
के देखते हैं
करें सियासत जुगनू
चराग झिलमिलायें
कहीं सराब कहीं घात छल
के देखते हैं
openbooksonline.com पर तरही मुशायरा के लिए अहमद फ़राज़ साहब की ग़ज़ल की पंक्ति "अभी कुछ और करिश्मे ग़ज़ल के देखते हैं"
[ अ/१/भी/२/कु/१/छौ/२/र/१/क/१/रिश/२/में/२/ग/१/ज़ल/२/के/१/दे/२/ख/१/ते/१/हैं/२
पर मेरी कोशिश
[ अ/१/भी/२/कु/१/छौ/२/र/१/क/१/रिश/२/में/२/ग/१/ज़ल/२/के/१/दे/२/ख/१/ते/१/हैं/२
१२१२ ११२२ १२१२ ११२
मुफाइलुन फइलातुन मुफाइलुन फइलुन
(बह्र: मुजतस मुसम्मन् मख्बून मक्सूर )]पर मेरी कोशिश
ग़ज़ल के शिल्प से अनजान हूँ सीखने के क्रम में की गयी यह कोशिश है कृपया टिप्पणियों से सुधार की गुंजाइश जरूर बताइये आभार !!!
बेहतरीन गज़ल
ReplyDeleteख़ुदा आपको आबाद रखे
गज़ल की बारीकियाँ नहीं पता .... मुझे तो भाव बहुत अच्छे लगे इस गज़ल के :)
ReplyDeleteआपकी रचना कल बुधवार [03-07-2013] को
ReplyDeleteब्लॉग प्रसारण पर
कृपया पधार कर अनुग्रहित करें |
सादर
सरिता भाटिया
सुंदर सृजन,बहुत उम्दा गजल,काबिले तारीफ़ प्रयास के लिए बधाई,,,
ReplyDelete,
RECENT POST: जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनायें.
बहुत सुंदर रचना
ReplyDeleteबहुत सुंदर
बहुत ही बढ़िया।
ReplyDeleteसादर
khubsurat karishma kar gaye....
ReplyDeleteबहुत सुंदर गजल ,आभार
ReplyDeleteयहाँ भी पधारे ,http://shoryamalik.blogspot.in/2013/07/blog-post_1.html
खुबसूरत रचना ,बहुत सुन्दर भाव भरे है रचना में,आभार !
ReplyDeleteशिल्प का बहुत जानकार तो मैं भी नहीं हूँ पर ग़ज़ल के भाव पसन् आये
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रयास.
ReplyDeleteबहुत उम्दा ग़ज़ल
ReplyDeleteबहुत बढ़िया ग़ज़ल..
ReplyDeleteबस खुद में बहा रही है ये गजल..उम्दा..
ReplyDeleteभावमय गज़ल ... आप लिखती रहें .. शिल्प अपने आप आ जाएगा ...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर भावपूर्ण गज़ल...
ReplyDeleteसुन्दर भाव !
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