स्वरचित रचनाएं..... भाव सजाऊं तो छंद रूठ जाते हैं छंद मनाऊं तो भाव छूट जाते हैं यूँ अनगढ़ अनुभव कहते सुनते अल्हड झरने फूट जाते हैं -वन्दना
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Tuesday, November 6, 2012
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इस ब्लॉग पर प्रकाशित सभी रचनाएं स्वरचित हैं तथा प्रतिष्ठित पत्र पत्रिकाओं यथा राजस्थान पत्रिका ,मधुमती , दैनिक जागरण आदि व इ-पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुकी हैं . सर्वाधिकार लेखिकाधीन सुरक्षित हैं
अच्छा लगा इस आयोजन के विषय में जानकर..... सुंदर चित्र
ReplyDeletebahut accha laga ......vandna jee....is saharoh ko shayer karne ke liye dhanyavad...
ReplyDeleteआपको हार्दिक बधाइयाँ हमारे साथ साझा करने के लिए शुक्रिया
ReplyDeleteबहुत बहुत बधाई
ReplyDeleteसुखद चित्रमय आयोजन साझा करने के लिये आभार,,,,
ReplyDeleteRECENT POST:..........सागर
बहुत सुंदर चित्र...आभार साझा करने के लिये...
ReplyDeleteInternet par ek bar fir janana, dekhana sukhad laga.
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ReplyDeleteधन वैभव दें लक्ष्मी , सरस्वती दें ज्ञान ।
गणपति जी संकट हरें,मिले नेह सम्मान ।।
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दीपावली पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं
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अरुण कुमार निगम एवं निगम परिवार
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हार्दिक बधाइयाँ..
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