श्राद्ध पक्ष
में पितृ-पूजन आदि की प्रक्रिया देख चुनमुन ने दादा जी से पूछा ...
“दादा जी !यह जल इस तरह
क्यों चढ़ाया जाता है ?”
“बेटा यह स्वर्ग में
हमारे पितृ पूर्वजों को प्राप्त होता है ....”
"...कैसे..."
“बेटा यह एक तरह से
अपने पूर्वजों को धन्यवाद देने का तरीका है ...प्रकृति के अनमोल उपहार ,ये संस्कृति और
ये थाती जो उन्होंने हमें सौंपी है हम उन्हें उसके लिए धन्यवाद देते हैं ...”
“लेकिन दादाजी हमारी
मैडम कहती हैं कि आज जिस तरह पानी का दुरूपयोग हो रहा है तो धरती से पानी जल्दी ही
ख़त्म हो जाएगा ...”
“हाँ बेटा वो ठीक कहती हैं”
“तो फिर हम अपने पूर्वजों को धन्यवाद कैसे दे पायेंगे .....?
सटीक प्रश्न
ReplyDeleteबहुत सही और सटीक..
ReplyDeleteबहुत ही सटीक और सार्थक प्रश्न,,,,,,
ReplyDeleteRECENT POST ...: यादों की ओढ़नी
एक यक्ष प्रश्न....
ReplyDeleteबहुत ही उम्दा...|
ReplyDeleteआपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल बृहस्पतिवार 18-10 -2012 को यहाँ भी है
ReplyDelete.... आज की नयी पुरानी हलचल में ....
मलाला तुम इतनी मासूम लगीं मुझे कि तुम्हारे भीतर बुद्ध दिखते हैं ....। .
अभी भी समय है चेत जाने का .
ReplyDeleteजिज्ञासा भी है परन्तु जल ही जीवन भी ... सो प्रश्न बिल्कुल सटीक
ReplyDeleteआभार
बच्चे ज्यादा समझदार होते हैं|
ReplyDeleteया देवी सर्वभूतेषू विद्यारूपेण संस्थिता
ReplyDeleteनमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै नमो नमः|
इसे मैं आपके नए ब्लॉग मुक्तावलि पर डालना चाह रही थी किन्तु हो नहीं सका|
कृपया वर्ड व्रीफिकेशन हटा दें|
बिजली बचाओ, पानी बचाओ ,सबको पढाओ।
ReplyDeleteसार्थक पोस्ट
मेरी नई पोस्ट पर आमंत्रित करता हूँ
http://rohitasghorela.blogspot.in/2012/10/blog-post_17.html
चुनमुन का तर्क सही है।
ReplyDeleteसामयिक प्रश्न !
ReplyDeletesochna chaahiye...
ReplyDeletesateek aur sarthak prashn.
ReplyDeletebaal mann ne sahi prashn uthaya
ReplyDeletesahi baat hai |
ReplyDeleteकुछ प्रश्नों का जवाब समय अपने आप दे देगा ...
ReplyDeleteहमें रुक कर सोचना ही होगा..
ReplyDelete