Sunday, October 14, 2012

कैसे



श्राद्ध पक्ष में पितृ-पूजन आदि की प्रक्रिया देख चुनमुन ने दादा जी से पूछा ...
दादा जी !यह जल इस तरह क्यों चढ़ाया जाता है ?




बेटा यह स्वर्ग में हमारे पितृ पूर्वजों को प्राप्त होता है ....

 "...कैसे..."

बेटा यह एक तरह से अपने पूर्वजों को धन्यवाद देने का तरीका है ...प्रकृति के अनमोल उपहार ,ये संस्कृति  और ये थाती जो उन्होंने हमें सौंपी है हम उन्हें उसके लिए धन्यवाद देते हैं ...

लेकिन दादाजी हमारी मैडम कहती हैं कि आज जिस तरह पानी का दुरूपयोग हो रहा है तो धरती से पानी जल्दी ही ख़त्म हो जाएगा ...

हाँ बेटा वो ठीक कहती हैं

तो फिर हम अपने पूर्वजों को धन्यवाद कैसे दे पायेंगे .....? 

19 comments:

  1. बहुत सही और सटीक..

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  2. एक यक्ष प्रश्न....

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  3. अभी भी समय है चेत जाने का .

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  4. जिज्ञासा भी है परन्‍तु जल ही जीवन भी ... सो प्रश्‍न बिल्‍कुल सटीक
    आभार

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  5. बच्चे ज्यादा समझदार होते हैं|

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  6. या देवी सर्वभूतेषू विद्यारूपेण संस्थिता
    नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै नमो नमः|

    इसे मैं आपके नए ब्लॉग मुक्तावलि पर डालना चाह रही थी किन्तु हो नहीं सका|

    कृपया वर्ड व्रीफिकेशन हटा दें|

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  7. बिजली बचाओ, पानी बचाओ ,सबको पढाओ।
    सार्थक पोस्ट

    मेरी नई पोस्ट पर आमंत्रित करता हूँ
    http://rohitasghorela.blogspot.in/2012/10/blog-post_17.html

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  8. चुनमुन का तर्क सही है।

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  9. सामयिक प्रश्न !

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  10. कुछ प्रश्नों का जवाब समय अपने आप दे देगा ...

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  11. हमें रुक कर सोचना ही होगा..

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आपकी बहुत बहुत आभारी हूँ कि अपना बहुमूल्य समय देकर आपने मेरा मान बढाया ...सादर

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