(भुजंग प्रयात छंद)
ज़माना कहेगा जिसे मां भवानी
अनूठी रहे याद ऐसी निशानी
पढूंगी बढूंगी रुकूंगी कभी ना
बनूं प्रेरणा मैं लिखूं वो कहानी
खिलें यत्न मेरे चली मैं अकेेली
भले नाव मेरी हवा की सहेली
चुनौती सभी जीतना चाहती हूं
कि कश्ती न ये जादुई बादबानी
मुझे व्याधि आंधी न कोई सताये
नदी पार आशा बुलाए रिझाये
इरादे भरोसे स्वयंसिद्ध मेरे
मिली शक्ति कोई मुझे आसमानी
- वंदना
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आपकी बहुत बहुत आभारी हूँ कि अपना बहुमूल्य समय देकर आपने मेरा मान बढाया ...सादर