Sunday, January 18, 2015

अच्छे दिन ……


नवकोंपलों के स्वागत में
देह भर उत्साह से उमगते
कण-कण को वासन्तिक बनाने में
हर पल विषपान कर
प्राणवायु उलीचते
कर्तव्य हवन में
स्वयं समिधा बन
जो पाया उसे लौटाते
पात-पात तिनका-तिनका
'इदं न मम' कहकर
आहुति देते  
देव ,ऋषि 
और पितृ ऋण से
मुक्त होना सिखलाते
ये वृक्ष पूछा करते हैं
कि ऋणानुबंधों की 
सुनहरी लिखावट की  
स्याही में डूबे
क्या कभी आया करते हैं
अच्छे दिन !


चित्र गूगल से साभार 



4 comments:

  1. सुन्दर, सहज और सार्थक प्रश्न...बहुत ख़ूब

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  2. सार्थक प्रशन ... इंसान की चेतना जब तक नहीं जागेगी शायद आचे दिन आ ही नहीं पायेंगे ...

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आपकी बहुत बहुत आभारी हूँ कि अपना बहुमूल्य समय देकर आपने मेरा मान बढाया ...सादर

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