सजी दहलीज कंदीलें बुलाती हैं दिवाली में
कतारें नवप्रभावर्ती रिझाती हैं दिवाली में
अमा की रात में कैसे लिखे वो छंद पूनम के
हुनर यह दीपमालाएं सिखाती हैं
दिवाली में
भुलाकर रिश्तों के बंधन डटें हैं सीमा पर भाई
तो बहनें चैन की बंसी बजाती
हैं दिवाली में
जले दीपक से दीपक जब खिले है खील सा हर मन
तो गलियाँ गाँव की हमको बुलाती
हैं दिवाली में
दिये को ओट में रखकर नयन के ज्योतिवर्धन को
ख़ुशी से माँ मेरी काजल बनाती हैं दिवाली में
अकेले भी करो कोशिश अगर तम को हराने की
सफलताएँ सगुन मंगल मनाती हैं दिवाली में
हठीली आग रख सिर पर निभाती है कसम कोई
फिज़ाएं नूर की चादर बिछाती हैं दिवाली में
जला कब दीप है बोलो निरी माटी की यह रचना
उजाले बातियाँ स्नेहिल सजाती हैं
दिवाली में
अनूठा दृश्य रचते हैं कतारों में सजे दीपक
विभाएं शुद्ध अनुशासन दिखाती है दिवाली में
तरही
मिसरा “ फिज़ाएं नूर की चादर बिछाती हैं दिवाली में“
जनाब
एहतराम इस्लाम साहब की ग़ज़ल से
चित्र गूगल से साभार
बेहतरीन ग़ज़ल......
ReplyDeleteअपना शागिर्द बना लीजिये हमें :-)
सस्नेह
अनु
भुलाकर रिश्तों के बंधन डटें हैं सीमा पर भाई
ReplyDeleteतो बहनें चैन की बंसी बजाती हैं दिवाली में
दिये को ओट में रखकर नयन के ज्योतिवर्धन को
ख़ुशी से माँ मेरी काजल बनाती हैं दिवाली में
निशब्द करती पंक्तियाँ , बहुत सुन्दर लिखा है
अमा की रात में कैसे लिखे वो छंद पूनम के
ReplyDeleteहुनर यह दीपमालाएं सिखाती हैं दिवाली में ..
वाह ... बहुत समय बार इतनो लाजवाब ग़ज़ल पढ़ी है ... हर शेर मोती सा ... औए ये ख़ास शेर तो बार बार गुनगुनाने के लिए हो जैसे ...
अमा की रात में कैसे लिखे वो छंद पूनम के
ReplyDeleteहुनर यह दीपमालाएं सिखाती हैं दिवाली में
भुलाकर रिश्तों के बंधन डटें हैं सीमा पर भाई
तो बहनें चैन की बंसी बजाती हैं दिवाली में....
बहुत खूब....लाजवाब और अर्थपूर्ण अश'आर. खूबसूरत ग़ज़ल. हार्दिक बधाई स्वीकारें.
अनूठा दृश्य रचते हैं कतारों में सजे दीपक
ReplyDeleteविभाएं शुद्ध अनुशासन दिखाती है दिवाली में
...बहुत सुन्दर सन्देश देते हैं दीपक ...
सुन्दर प्रस्तुति
Bahut khoob hai gajal
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति।
ReplyDeleteBehad umda gazal hai waah !!
ReplyDeleteइस खूबसूरत तरही मिसरे के साथ बेहद सुंदर ग़ज़ल बुनी है आपने.. "खशी से मा मेरी काजल बनाती है.." वाह. सभी शेर पसंद आये. हार्दिक बधाई.
ReplyDeleteदिये को ओट में रखकर नयन के ज्योतिवर्धन को
ReplyDeleteख़ुशी से माँ मेरी काजल बनाती हैं दिवाली में
निशब्द करती पंक्तियाँ
बहुत अच्छा लगा सारी रचनाओं को फिर से पढ़ना . शुभकामनाएं..
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