हुआ सम्मान नारी का यहाँ नर नाम से पहले
सिया हैं राम से पहले व राधे श्याम से पहले
समेटा है मेरा अस्तित्व धारोंधार तुमने जब
विशदता मिल गयी जैसे कहीं विश्राम से पहले
खिंची रेखा कोई जब भी बँटे आँगन दुआरे तो
कसक उठती है सोचें हम जरा परिणाम से पहले
ग़ज़ल का जिक्र जब होगा कशिश की बात गर होगी
तुम्हारा नाम भी आएगा मेरे नाम से पहले
बुझा मत आस का दीपक यकीनन भोर आएगी
अँधेरा है जरा गहरा मगर अनुकाम से पहले
अगर ममता ने बाँधी है परों से डोर कुछ पक्की
यकीनन लौट आयेंगे परिंदे शाम से पहले
विरासत में मिली खुशबू खिले हैं रंग बहुतेरे
छुआ आँचल कहो किसने कि जिक्र-ए-नाम से पहले
-वंदना
(तरही मिसरा - "तुम्हारा नाम भी आएगा मेरे नाम से पहले" जनाब क़तील शिफाई साहब की एक ग़ज़ल से )
बहुत ही सुन्दर ग़ज़ल ,शेयर करने के लिए आपका धन्यबाद।
ReplyDeleteइस पोस्ट की चर्चा, मंगलवार, दिनांक :-01/10/2013 को "हिंदी ब्लॉगर्स चौपाल {चर्चामंच}" चर्चा अंक -14 पर.
ReplyDeleteआप भी पधारें, सादर ....राजीव कुमार झा
सुंदर गजल लेखन |
ReplyDeleteवन्दना जी |
“किन्तु पहुंचना उस सीमा में………..जिसके आगे राह नही!{for students}"
सुन्दर प्रस्तुति-
ReplyDeleteबहुत सुन्दर ग़ज़ल
ReplyDeleteनई पोस्ट अनुभूति : नई रौशनी !
नई पोस्ट साधू या शैतान
सुंदर भाव, शुभकामनाये
ReplyDeleteवाह ! बहुत ही बढ़िया,सुंदर गजल !
ReplyDeleteRECENT POST : मर्ज जो अच्छा नहीं होता.
बहुत सुन्दर गजल..
ReplyDeleteबहुत अच्छी लगी ग़ज़ल.
ReplyDeleteप्रभावी..... बेहतरीन पंक्तियाँ
ReplyDeleteबहुत खूब ... लाजवाब शेर हैं इस तरही में सभी ... दिल को छूते हुए ...
ReplyDeleteमन को छू गई...
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर गजल...
ReplyDelete:-)
बड़ी प्यारी ग़ज़ल लिखी है वंदना ..
ReplyDeleteबधाई !
dil ko chhu liya aapke jazal ne vandna jee ....
ReplyDeleteबहुत भावपूर्ण उम्दा ग़ज़ल...
ReplyDeleteउम्दा गजल
ReplyDeleteसार्थक अभिव्यक्ति
नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनायें