Thursday, July 11, 2013

गर जुम्बिश थोड़ी सी है....


14 comments:

  1. khoobshurat prastuti,"khwabon ki murat ho, khayalon ki surat ho,

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  2. वाह वंदना जी....
    बेहतरीन ग़ज़ल......
    उम्दा शेरों से सजी.

    अनु

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  3. सार्गभित, प्रशंसनिये.
    बेहतरीन रचना, आभार

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  4. सार्गभित सुन्दर रचना..

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  5. बहुत सुंदर भावपूर्ण गजल ,बधाई वन्दना जी,,,

    RECENT POST ....: नीयत बदल गई.

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  6. बेहतरीन और अदभुत अभिवयक्ति....

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  7. खूब..... बहुत सुंदर पंक्तियाँ ....

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  8. बहुत खूब ... नए अंदाज़ के शेर हैं सभी ... लाजवाब ..

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  9. नयी अनुभूतियों का बहुत सुंदर प्रयोग
    बेहतरीन शिल्प
    उत्कृष्ट रचना
    बधाई

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  10. रे! रीढ़ की भी अपनी इक अलहद कीमत तो है

    वाह!!!

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  11. सभी शेर बहुत उम्दा, बहुत खूब, बधाई.

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  12. सुभानअल्लाह..

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आपकी बहुत बहुत आभारी हूँ कि अपना बहुमूल्य समय देकर आपने मेरा मान बढाया ...सादर

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