Sunday, February 24, 2013

रात से गिला क्या है....

रात से गिला क्या है

सुबह ने दिया क्या है


कैद अब हुआ लम्हा

इश्क के सिवा क्या है


दर्द पी लिया शायद

आँख ने कहा क्या है


उम्र ढल रही पलछिन

हाथ से गिरा क्या है


दोस्त न बना कोई

जीस्त का सिला क्या है


हाथ  भर जरा कोशिश

और मशविरा क्या है


सौंप जब दिया खुद को

हाथ फैसला क्या है


धूप में जले पानी

सिलसिला नया क्या है


गुमशुदा ख़ुशी क्यूँकर

पूछ माजरा क्या है


नब्ज है थमी कब से

अस्ल हादसा क्या है




19 comments:

  1. इस प्यार को नया आयाम देती आपकी ये बहुत उम्दा रचना ..भाव पूर्ण रचना .. बहुत खूब अच्छी रचना इस के लिए आपको बहुत - बहुत बधाई

    मेरी नई रचना

    मेरे अपने

    खुशबू
    प्रेमविरह

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  2. बहुत बढ़िया ग़ज़ल....
    छोटे बहर की गज़लें बड़ा लुभाती हैं...

    अनु

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  3. आपकी यह बेहतरीन रचना बुधवार 27/02/2013 को http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जाएगी. कृपया अवलोकन करे एवं आपके सुझावों को अंकित करें, लिंक में आपका स्वागत है . धन्यवाद!

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  4. वाह ... बहुत ही बढिया।

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  5. आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टि की चर्चा कल मंगलवार26/2/13 को चर्चाकारा राजेश कुमारी द्वारा चर्चा मंच पर की जायेगी आपका हार्दिक स्वागत है

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  6. गहन भाव लिए रचना मन को छू गयी |
    बहुत खूब |
    आशा

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  7. धूप में पानी..सिलसिला तो नया नहीं है पर अंदाज बिलकुल अलहदा है..कहने का..

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  8. बहुत गजब बहुत अच्छी रचना
    आज की मेरी नई रचना

    ये कैसी मोहब्बत है

    खुशबू

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  9. उम्र ढल रही पलछिन
    हाथ से गिरा क्या है ...
    छोटी बहर की लाजवाब गज़ल ... हर शेर मायने लिए ... ओर ये शेर तो बहुत खास ...

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  10. सौंप जब दिया खुद को
    हाथ फैसला क्या है

    ...बहुत खूब! बेहतरीन ग़ज़ल..

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  11. बढ़िया प्रभावशाली गज़ल ..
    बधाई आपकी कलम को !

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  12. बहुत ही बेहतरीन गजल....
    :-)

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  13. प्रभावी अभिव्यक्ति..... बहुत सुंदर

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  14. धूप में जले पानी,
    सिलसिला नया क्या है।

    शानदार ग़ज़ल, लेकिन इस शे‘र का अंदाज़ कुछ अलग ही है...
    बहुत बढ़िया।

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  15. गुमशुदा ख़ुशी क्यूँकर
    पूछ माजरा क्या है---waah sunder gajal gajab ka prayog

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  16. छोटे बहर की बहुत बढ़िया ग़ज़ल!

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आपकी बहुत बहुत आभारी हूँ कि अपना बहुमूल्य समय देकर आपने मेरा मान बढाया ...सादर

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