सांय सांय
गूंजेगी
आंगन में तेरी
प्रार्थनाएं
तेरे मन्त्र
बाँधा था कवच
कीला था काल
अनगिनत
अदृश्य ताबीजों
में
तेरे आशीष
तेरी दुआओं से
सराबोर
मेरी रूह
तुझे बुलाना
चाहती है
मनीप्लांट चुपचाप
लिए
बैठा है मंजीरे
तेरी मौन
तपस्या में
स्वर मिलाना
चाहती है
कहाँ सो रही है
चिरनिद्रा में
लीन
सनातन
शाश्वत
तपस्विनी तू
तपस्विनी तू
( श्रद्धा सुमन
नानी के लिए )
आखें नम हुईं पढ़कर ...... श्रद्धा सुमन
ReplyDeleteइतना सुन्दर श्रद्धा-सुमन अर्पित किया है आपने .नानी जी को नमन..
ReplyDeleteहर श्रद्धा सुमन सुवासित
ReplyDeleteरचना के माध्यम से नानी जी को सुंदर श्रद्धान्जली,,,
ReplyDeleteनमन,,
RECENT POST बदनसीबी,
खूबसूरत श्रद्धा सुमन का गुलदस्ता ।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना
ReplyDeleteभावभीने शब्द-पुष्पों के माध्यम से ममत्व का कृतज्ञ स्मरण !
ReplyDeleteहर शब्द श्रद्धा के अनुपम.नानी को विनम्र नमन.
ReplyDeleteदिल को छू गई आपनी अभिव्यक्ति ...
ReplyDeleteजिनको चाहता है मन उनको पुकारता है मन ...
अदभुत--बहुत सुंदर
ReplyDeleteबहुत बहुत बधाई
दिल के सुन्दर भावों को लिए ...
ReplyDeleteश्रद्धा सुमन व नमन मेरी तरफ से नानीजी के लिए !
sundar shrdha suman...
ReplyDeleteहर शब्द श्रद्धा के अनुपम.नानी को विनम्र नमन.
ReplyDeleteby
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