पल पल लेखा
मांगता , गुजरे पल का हाल
यूँ पिछले
पञ्चांग से , उतरे बीता साल
मन तो मलिन
उदास है , कर पाते कुछ खास
बीता बरस बाँट
चुका , अब आगत से आस
विरंग किसी
कपड़े सा उतर गया इक साल
जाते जाते दे गया मन को ढेर सवाल
भींत गिरे
अभिमान की , छूटे वाद विवाद
पौध लगाएं
प्रेम की , कर ऐसे संवाद
देख पेड़ से झर
रहे , पीले पीले पात
जैसे हमसे कह
रहे , बदलेंगे हालात
फिर झिलमिल वो रोशनी , लाई नव संकेत
सरक न जाये
ध्यान धर , यह मुट्ठी की रेत
प्यार और विश्वास के , मौसम लाया साथ
प्यार और विश्वास के , मौसम लाया साथ
अब देरी किस बात की , थाम बढ़ाकर हाथ
रंग बिरंगी रुत
नई , गूँथे गजरे हार
प्रिय वंदना
ReplyDeleteवन्दे मातरम
दोहे अच्छे हैं. निम्न दोहे के विषम (१-३) चरणों में लय या गण दोष है. पढ़ते समय अन्य दोहें से तुलना करें तो इन चरणों में अटकता हुआ अनुभव होगा. भाषा का प्रवाह भी दोहा का गुण है.
बदरंग कपड़े जैसा , उतर गया इक साल
विदा लेते छोड़ गया , मन में ढेर सवाल
*
रंगहीन कपड़े सदृश, उतर गया इक साल
जाते-जाते दे गया, मन को ढेर सवाल
acharya sanjiv 'salil'
divyanarmada.blogspot.in
salil.sanjiv@gmail.com
tamam sawalo ke tane bane ko udhedti sundar prastuti
ReplyDeleteसुंदर भावपूर्ण दोहे. नए साल की शुभकामनायें.
ReplyDeleteआदरणीया आपने दोहों के जरिये अपनी भावनाएं और संवेदनशीलता को बखूबी प्रस्तुत किया है हार्दिक बधाई.
ReplyDeleteभावपूर्ण बहुत ही सुंदर दोहे.भाषा प्रवाह कमी लगती है
ReplyDeleteनए साल की शुभकामनायें.,,,,,
,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
recent post : नववर्ष की बधाई
भावपूर्ण दोहे।।।
ReplyDeleteनववर्ष की अग्रिम शुभकामनाएं।।।
सब के सब दोहे बहुत अच्छे लगे.
ReplyDeleteवाह. बहुत सुन्दर. नव वर्ष की बधाई
ReplyDeleteसुन्दर भावपूर्ण दोहे...नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें!
ReplyDeleteदिन तीन सौ पैसठ साल के,
ReplyDeleteयों ऐसे निकल गए,
मुट्ठी में बंद कुछ रेत-कण,
ज्यों कहीं फिसल गए।
कुछ आनंद, उमंग,उल्लास तो
कुछ आकुल,विकल गए।
दिन तीन सौ पैसठ साल के,
यों ऐसे निकल गए।।
शुभकामनाये और मंगलमय नववर्ष की दुआ !
इस उम्मीद और आशा के साथ कि
ऐसा होवे नए साल में,
मिले न काला कहीं दाल में,
जंगलराज ख़त्म हो जाए,
गद्हे न घूमें शेर खाल में।
दीप प्रज्वलित हो बुद्धि-ज्ञान का,
प्राबल्य विनाश हो अभिमान का,
बैठा न हो उलूक डाल-ड़ाल में,
ऐसा होवे नए साल में।
Wishing you all a very Happy & Prosperous New Year.
May the year ahead be filled Good Health, Happiness and Peace !!!
मनभावन दोहे..
ReplyDeletesundar bhavpoorn dohe..nav varsh ki shubhkamnayen..
ReplyDeleteफिर झिलमिल वो रोशनी , लाई नव संकेत
ReplyDeleteसरक न जाये ध्यान धर , यह मुट्ठी की रेत।
सरस दोहे अच्छे लगे।
वन्दना जी ,नववर्ष की हार्दिक शुभ-कामनाएं । दोहे अच्छे हैं । जो बात मैं कहना चाहती थी वह आचार्य सलिल जी ने कह ही दी है । लिखती रहें ।
ReplyDeleteबहुत सुंदर दोहे.... नए साल की शुभकामनायें.
ReplyDeleteदेख पेड़ से झर रहे , पीले पीले पात
ReplyDeleteजैसे हमसे कह रहे , बदलेंगे हालात
सुन्दर रचना !
नववर्ष, लोहड़ी व मकरसंक्रांति की हार्दिक शुभकामनाएँ !
साभार !
अप्रतिम!
ReplyDeleteबहुत सुन्दर!
http://voice-brijesh.blogspot.com
बहुत सुन्दर!
ReplyDeleteby
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