वो एक आदमी
जिसने पहली बार
सिर झुका कर
ईश्वर को पुकारा होगा
वो एक आदमी
जिसने पत्थर मे
भगवान तराशा होगा
वो एक आदमी
जिसने पहली बार
आस्था का बीज बोया होगा
जरूर उस आदमी से
बहुत अच्छा होगा
जिसने तोडा होगा
पहली बार
किसी के जीने का संबल
बहुत बुरा होगा
वह आदमी
जिसने
निराशा का आविष्कार किया होगा
और जिसने
आंसुओं को
निरा पानी बताया होगा
अच्छे और बुरे की सही परिभाषा ...
ReplyDeleteबहुत बुरा होगा
ReplyDeleteवह आदमी
जिसने निराशा का आविष्कार किया होगा।
कविता में गहन चिंतन की झलक है।
बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
ReplyDeleteनेताजी सुभाष चन्द्र बोस की जयंती पर उनको शत शत नमन!
गहन चिंतन!
ReplyDeleteअर्थपूर्ण अभिव्यक्ति ...
ReplyDeleteगहन चिंतन के साथ एक अर्थपूर्ण रचना..बहुत सुन्दर..
ReplyDeleteसाधु-साधु
ReplyDeleteअतिसुन्दर
सारगर्भित..
वो एक आदमी ,जिसने पहली वार ,आस्था का बीज बोया होगा
ReplyDeleteबहुत सुन्दर
गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनायें
vikram7: कैसा,यह गणतंत्र हमारा.........
बहुत सुन्दर कविता |वन्दना जी गणतन्त्र दिवस की शुभकामनाएँ |
ReplyDeleteवाह....मेरे मन के भावों को व्यक्त कर दिया आपने
ReplyDeleteअपनी कविता में।
इस कविता शब्दों से नहीं, अपितु हृदय से आभार
व्यक्त करने लायक है।
कृपया इसे भी पढ़े-
क्या यही गणतंत्र है
सुंदर प्रस्तुति,भावपूर्ण अच्छी रचना,..
ReplyDeleteWELCOME TO NEW POST --26 जनवरी आया है....
गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाए.....
अच्छी विवेचना...
ReplyDeleteसार्थक और गहन रचना..
सस्नेह
बहुत ही सटीक भाव..बहुत सुन्दर प्रस्तुति
ReplyDeleteशुक्रिया ..इतना उम्दा लिखने के लिए !!
भाव बनाए नहीं जाते हममे ही होते हैं.. सुन्दर लिखा है .
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