Saturday, December 17, 2011

एक और एक



उन्हें
एक और एक ग्यारह नहीं                           1+1=11......                           
                                                                            
एक होना था    ......                                           
केवल एक
और वे हुए भी
उनमें से एक
या तो पंगु हुआ
या परजीवी
और
अस्तित्व  
एक का ही बाकी रहा                1+1=01
                                                  


25 comments:

  1. सुन्दर विचारमयी प्रस्तुति

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  2. कल 19/12/2011को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
    धन्यवाद!

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  3. bahut sunder bhav ..............

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  4. छोटी बात है लेकिन गहरी बात है !

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  5. sundar bhavana ke sang sundar srijan badhayiyan ji .

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  6. कविता का कथ्य नितांत मौलिक है।
    बहुत बढि़या।

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  7. छोटी किन्तु शानदार पोस्ट|

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  8. वाह ...बहुत बढि़या।

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  9. वाह! बहुत खूब...
    सादर..

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  10. कुछ पंक्तियों के माध्यम से आपने बहुत ही गहरी बात कह दी है ....बेहतरीन अभिव्यक्ति

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  11. बहुत सुन्दर कविता ब्लॉग पर बहुमूल्य टिप्पणी देने के लिए आभार |मेरे निजी कविताओं के ब्लॉग पर एक प्रेम गीत पढ़ने का कष्ट करें टिप्पणी आवश्यक नहीं है www.jaikrishnaraitushar.blogspot.com

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  12. कम शब्दों में बड़ी बात, कमाल है।

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  13. ये क्या कह दिया है आपने,वंदना जी.
    अब क्या कहूँ समझ नही आ रहा.

    अनुपम प्रस्तुति है आपकी.
    आभार.

    मेरी पोस्ट 'हनुमान लीला भाग-२'पर
    आपका स्वागत है.

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  14. सुंदर और मर्मस्पर्शी पोस्ट

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  15. गूढ़ , विस्मयकारी रचना ..

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  16. वाह . बहुत उम्दा,सुन्दर व् सार्थक प्रस्तुति . हार्दिक आभार

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  17. बहुत सुन्दर भावपूर्ण अभिव्यक्ति

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आपकी बहुत बहुत आभारी हूँ कि अपना बहुमूल्य समय देकर आपने मेरा मान बढाया ...सादर

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