वह चलता है
सड़क पर
सदा नियम से
बायीं ओर
अक्सर ठेल दिया जाता है
अनियंत्रित ओवेरटेक करते
वाहनों के द्वारा
त्रस्त है अतिक्रमण से
हाशिए पर रेंगता आदमी
संभलता सरकता
जीता है
कनागत के कौवे की तरह
चुनाव के बाद
आम आदमी
स्वरचित रचनाएं..... भाव सजाऊं तो छंद रूठ जाते हैं छंद मनाऊं तो भाव छूट जाते हैं यूँ अनगढ़ अनुभव कहते सुनते अल्हड झरने फूट जाते हैं -वन्दना
वह चलता है
सड़क पर
सदा नियम से
बायीं ओर
अक्सर ठेल दिया जाता है
अनियंत्रित ओवेरटेक करते
वाहनों के द्वारा
त्रस्त है अतिक्रमण से
हाशिए पर रेंगता आदमी
संभलता सरकता
जीता है
कनागत के कौवे की तरह
चुनाव के बाद
आम आदमी
अद्भुत सुन्दर रचना! आपकी लेखनी की जितनी भी तारीफ़ की जाए कम है!
ReplyDeleteकनागत के कौवे की तरह
ReplyDeleteचुनाव के बाद
आम आदमी
क्या बिम्ब दिया है ..बहुत सटीक ..
सुंदर रचना ,
ReplyDeleteसाभार- विवेक जैन vivj2000.blogspot.com
.आम आदमी का सुंदर चित्रण .....
ReplyDeleteबहुत उम्दा कविता बधाई वंदना जी
ReplyDeleteसटीक .. आम आदमी हाशिये पर ही रखा गया है
ReplyDeleteबहुत सुंदर कविता वन्दना जी बधाई |
ReplyDeleteप्रखर अभियक्ति को आपके ब्लॉग पर आज पढ़ कर पाया ,कथ्य & शब्द संयोजन सुंदर हैं , बधाईयाँ जी ./
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