स्वरचित रचनाएं..... भाव सजाऊं तो छंद रूठ जाते हैं छंद मनाऊं तो भाव छूट जाते हैं यूँ अनगढ़ अनुभव कहते सुनते अल्हड झरने फूट जाते हैं -वन्दना
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Tuesday, October 13, 2015
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इस ब्लॉग पर प्रकाशित सभी रचनाएं स्वरचित हैं तथा प्रतिष्ठित पत्र पत्रिकाओं यथा राजस्थान पत्रिका ,मधुमती , दैनिक जागरण आदि व इ-पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुकी हैं . सर्वाधिकार लेखिकाधीन सुरक्षित हैं
बहुत सुन्दर... बहुत बहुत शुभकामनायें
ReplyDeleteप्रशंसनीय
ReplyDeleteपांचवी कक्षा की इस छात्रा के सृजन को सलाम।
ReplyDeleteबहुत सुंदर और सराहनीय
ReplyDeleteबालिका की सृजनात्मकता प्रशंसनीय है ।
ReplyDeleteबधाई !