इस दुनिया में बहती सदा इल्हामे मुहब्बत
है खास वही जिस पे हो अकरामे मुहब्बत
बंसी की मधुर तान बँधे राधिका मोहन
रचती है महारास यहाँ नामे मुहब्बत
लिख लेते कोई किस्सा या दिलशाद कहानी
'मालूम जो होता हमें अंजामे मुहब्बत'
मासूम कोई तितली नज़र की जरा ठहरी
वो समझे कि भेजा गया पैगामे मुहब्बत
मिट्टी के पियालों में समन्दर की हिलोरें
चढ़ता है नशा पी के यूँ ही जामे मुहब्बत
तल्खी जो सही धूप की होना था गुलाबी
होने लगी है सर्द मगर शामे मुहब्बत
जागीर है यह रूह की सींचो जो लहू से
बहती युगों तक रहती है यह नामे मुहब्बत
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मिसरा ए तरह शायर जनाब शेख इब्राहीम "जौक" की ग़ज़ल से
( thanks to Mr.VIVEK GOYAL शब्दों के अर्थ के लिए कर्सर को शब्द पर ले जाते ही हम अर्थ देख पाएंगे यह सुविधा इन्हीं के द्वारा उपलब्ध कराई गयी है जैसे
महारास=परमानन्द की वह अवस्था जिसमें मैं तू और तू मैं यानि अभेद हो
जाते हैं )( thanks to Mr.VIVEK GOYAL शब्दों के अर्थ के लिए कर्सर को शब्द पर ले जाते ही हम अर्थ देख पाएंगे यह सुविधा इन्हीं के द्वारा उपलब्ध कराई गयी है जैसे
लाजवाब ग़ज़ल !वन्दना जी उर्दू शब्दकोष का कोई लिंक आपके पास हो या विवेक जी के पास हो तो प्लीज हमें दें |
ReplyDeleteआपका दिया "शब्द खोजो" बहुत अच्छा काम कर रहां है|आपका आभार |
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Mob:09666981077
अति सुन्दर
ReplyDeleteवाह ...बहुत सुंदर
ReplyDeleteप्रेम ही तो जीवन की असली उर्जा है. अति सुन्दर कृति.
ReplyDeleteतल्खी जो सही धूप की होना था गुलाबी
ReplyDeleteहोने लगी है सर्द मगर शामे मुहब्बत
...बहुत ख़ूबसूरत ग़ज़ल..
वाह... उम्दा भावपूर्ण प्रस्तुति...बहुत बहुत बधाई...
ReplyDeleteनयी पोस्ट@ग़ज़ल-जा रहा है जिधर बेखबर आदमी
बहुत सुन्दर..
ReplyDeleteमासूम कोई तितली नज़र की जरा ठहरी
ReplyDeleteवो समझे कि भेजा गया पैगामे मुहब्बत ..
बहुत ही सादगी से कहा शेर ... मज़ा आ गया .. लाजवाब गज़ल ...
ये अंजामे मोहब्ब्त इतना खूबसूरत है तो कोई क्यों न डूबे इसमें..
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ReplyDeleteबहुत सुंदर मुहब्बत की दास्तां ....
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