अभी कहीं कोई
चोरी लूट धन हानि जैसी कोई घटना होती या वर्ग विशेष पर हमला होता तो शहर बंद का
आह्वान किया जाता राजनीतिक ढोंग रचना होता तो भारत बंद का आह्वान किया जाता पर देश
की हर महिला इन घटनाओं से आहत होकर भी ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं रखती कि बस अब बंद
करो मुझे बार बार अपमानित करना वर्ना मैं भी देश की धड़कन बंद कर सकती हूँ
बाजार.... जो
हमारे नैतिक मूल्यों को कुचलने का सबसे बड़ा षड्यंत्र रच रहा है मैं उसका विरोध
करती हूँ बाजार.... जिसकी मैं एक उपभोक्ता हूँ और चाहूँ तो मुझे व्यापार की एक वस्तु समझने वाली मानसिकता को चुटकियों
में नष्ट कर सकती हूँ
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हमारी बच्चियों को एक सुरक्षित आँगन की जरूरत है जहाँ वे कम से कम अपना बचपन तो जी सकें
आइये आज हम
कहें कि हमारी सुरक्षा हमें सबसे ज्यादा प्यारी है इसलिए अब हम तुम्हारे व्यापार
तभी चलने देंगे जब इस बारे में सरकार और विपक्ष एक राय होकर सही फैसला ले लेंगे
सही कहा वंदनाजी ..... अब कोई ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है | बेटियों की सुरक्षा के लिए पूरे समाज को सोचना है
ReplyDeleteलगता तो बहुत कुछ है वंदना जी, ऊपर मोनिका जी ने भी लिखा है कि ठोस कदम उठाने की जरूरत है। पर करें क्या, कैसे उठाए ठोस कदम? जहां भी ऐसी दर्दनाक घटनाएं घटित हो रही वहां उसके कारण और परिस्थितियां कुछ अलग ही है। यहां सरकार,पुलिस और प्रशासन को दोशी मान आक्रमक होना, गालीगलौच करना और किसी का निलंबन करना उपाय नहीं है। ऐसा करना सांप समझ रस्सी को पीटते रहना है। मूल बीमारी दुष्चरित्र लोगों की मानसिकता में है। हमें अपनी और अपने परिवार की खुद सुरक्षा करनी होगी, पास-पडोस के माहौल से सचेत रह कर बच्चों को एक सुरक्षा कवच देना पडेगा। थोडा नजरंदाज करना बहुत महंगा पड सकता है। जानवर और पशु-पंछी अपने बच्चों को और परिवार जनों को बुरी आंखों से बचाए रखते हैं। जरूरत पडने पर हमला करते हैं। कहीं न कहीं ऐसी घटनाओं में लापरवाही पुलिस, प्रशासन, सरकार के साथ माता-पिता की मानी जा सकती है। आस-पास हजारों खतरें और राक्षस खडे है पहले खुद लडाई लडनी पडेगी।
ReplyDeleteसरकार से ज्यादा अब हमे और हमारे समाज को सोचना होगा,,,,,,,
ReplyDeleteRECENT POST : प्यार में दर्द है,
ठोस कदम उठाना तो ठीक है पर कौन स कदम .... सुझाव तो सभी दे रहे हैं पर धीरे धीरे सब लोग राजनीति में डूबे लोगों के हाथ में कठपुतली बनते जा रहे हैं ... बस राजनीति के माध्यम से ही हल खोजने की कोशिश करते हैं ...
ReplyDeleteकहाँ से लायें सुरक्षित आँगन...
ReplyDeleteआज अपना आँगन ही सुरक्षित नहीं बच्चियों के लिए
:-(
अनु
ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है
ReplyDeleteबच्चियों के सुरक्षित आंगन देने के लिए हमें बच्चियों के अंदर ही आत्मविश्वास और बेटों के मन में बच्चियों के प्रति सम्मान के संस्कार जागृत करना होगा ......
ReplyDeleteबहुत सही कहा है आपने .... पर किसी भी बात को नजरअंदाज करने के बजाये हमेशा सतर्क रहकर ही ... इस स्थिति से निपटा जा सकता है
ReplyDeletebahut sahii aur sashakt abhivyakti ..
ReplyDeletejyotsna sharma
आज अपने आँगन में भी कितनी सुरक्षित हैं बेटियां ?
ReplyDeleteहमें कठोर कदम उठाने ही होंगे...
नारी का हर रूप सम्माननीय है यह बात घुट्टी में घोल कर पिलानी होगी....!!!
ReplyDeleteहर माँ यह सिख लें की बेटा,बेटी में अंतर करना महा पाप है तभी लड़के लड़कियों को इज्जत देंगे
ReplyDeletelatest post सजा कैसा हो ?
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सही कहा वंदनाजी आपने ...ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है
ReplyDeleteसही कहा सबसे पहले हमें अपनी बेटिओं को सुरक्षित आंगन देना होगा।
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