ओस अमृत का
आभार प्रकट करने
चली आई
नवांकुरों की सेना
आभार प्रकट करने
चली आई
नवांकुरों की सेना
कि अब तो कैक्टस भी
अपने व्यक्तित्व के
विशेषणों से
उकताया हुआ है
इसीलिये
छोटे छोटे फूल लिए
वह भी खड़ा है
किसी सम्राट की अगवानी में
अपने व्यक्तित्व के
विशेषणों से
उकताया हुआ है
इसीलिये
छोटे छोटे फूल लिए
वह भी खड़ा है
किसी सम्राट की अगवानी में
और बूढ़े पत्ते भेज रहें हैं
आगे नवोदित अनुजों को
लाल धारियों वाली
पोशाक में सजे
ये नन्हें
गर्व मिश्रित लुनाई लिए
हर किसी से पूछते हैं
वहीँ कुछ बीज
लड़ रहें हैं
लड़ रहें हैं
अँधेरे की
सत्ता से
सत्ता से
कि प्रकाशनुवर्ती हूँ मैं
और प्रकाश को
मेरे जीवन में
मेरे जीवन में
आना ही होगा
बेशक तेरी सत्ता से
नाराज नहीं हूँ मैं
क्योंकि
तेरी ही गोद मे
क्योंकि
तेरी ही गोद मे
जन्मा है संघर्ष मेरा
और यहीं पायी है
प्रकाश के आँचल में
प्रतीक्षारत
प्रतीक्षारत
अनंत
संघर्षों से
लड़ने के लिए
लड़ने के लिए
इसीलिये
तेरे साथ रहेंगी मेरी जड़े
तेरे साथ रहेंगी मेरी जड़े
जीवनपर्यंत
जैसे रहती हैं दिल की धड़कन
जिंदगी के साथ
प्रकाश को पाने की
व्याकुलता लिए



सुन्दर कविता.
ReplyDeleteये नन्हें
ReplyDeleteगर्व मिश्रित लुनाई लिए
हर किसी से पूछते हैं
मैं अच्छा लग रहा हूँ ना !!
नव जीवन, नव उल्लास ...अद्भुत कविता
बसंत के उल्लास से भरी लाजबाब रचना,,
ReplyDeleteRECENT POST... नवगीत,
बसंत की आगवानी में सृष्टि का कण-कण कुछ न कहे , ऐसा हो ही नहीं सकता . जैसा कि आपने कहा..
ReplyDeletesundar abhiwayakti ......
ReplyDeleteआपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल बृहस्पतिवार 14-02 -2013 को यहाँ भी है
ReplyDelete....
आज की नयी पुरानी हलचल में ..... मर जाना , पर इश्क़ ज़रूर करना ...
संगीता स्वरूप
.
सुन्दर कविता.
ReplyDeleteby
Law Helpline
बहुत ही बढ़िया
ReplyDeleteसादर
बहुत खूब
ReplyDeleteकण-कण प्रफुल्लित, यही आनंद... बहुत बधाई.
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