Saturday, November 26, 2011

पगली


पगली
बहुत हँसती है
वो
न जाने क्यों
शायद बेवजह
बेवजह ?
पागल है क्या
क्या पता !
और क्या
बिना कारण तो
पागल ही हँसते हैं
वो सुनकर भी हँस रही थी
मानो कह रही थी
दर्द छुपाना भी
एक वजह है
हँसने के लिए
मन के सितार को
घंटो साधा जाता है
हँसने के लिए
लिखी जाती है
नई कविता
स्मित रेखाओं से
भरे जाते हैं
अनुभूति के रंग
पलकों की कूँची से
नम आँखे लिए
पगली सोच रही थी
वो अब भी हँस रही थी .......

11 comments:

  1. दर्द छुपाते हुए निकलती हंसी...
    हर कोई परिचित है शायद इस हंसी से!

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  2. बेहतरीन शब्द सयोजन भावपूर्ण रचना.......

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  3. बहुत सुन्दर.... संवेदनशील रचना

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  4. बेहतरीन रचना ..

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  5. दर्द छुपाना भी
    एक वजह है
    हंसने के लिए

    कविता कुछ सोचने के लिए प्रेरित करती है।

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  6. बेहद सुन्दर रचना भाव चित्र उकेरती सी जीवन का जगत का मानसिक कुन्हासा लिए हुए .

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  7. दर्द छिपाना भी
    एक वजह है हँसने के लिए ...

    गहरे भाव लिए हुए
    बहुत प्रभावशाली काव्य !
    वाह !!

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  8. हंसी में जो दर्द उभरता है ज्यादा सालता है ..

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आपकी बहुत बहुत आभारी हूँ कि अपना बहुमूल्य समय देकर आपने मेरा मान बढाया ...सादर

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