रात से गिला क्या है
सुबह ने दिया क्या है
कैद अब हुआ लम्हा
इश्क के सिवा क्या है
दर्द पी लिया शायद
आँख ने कहा क्या है
उम्र ढल रही पलछिन
हाथ से गिरा क्या है
दोस्त न बना कोई
जीस्त का सिला क्या है
हाथ भर जरा कोशिश
और मशविरा क्या है
सौंप जब दिया खुद को
हाथ फैसला क्या है
धूप में जले पानी
सिलसिला नया क्या है
गुमशुदा ख़ुशी क्यूँकर
पूछ माजरा क्या है
नब्ज है थमी कब से
अस्ल हादसा क्या है
इस प्यार को नया आयाम देती आपकी ये बहुत उम्दा रचना ..भाव पूर्ण रचना .. बहुत खूब अच्छी रचना इस के लिए आपको बहुत - बहुत बधाई
ReplyDeleteमेरी नई रचना
मेरे अपने
खुशबू
प्रेमविरह
बहुत बढ़िया ग़ज़ल....
ReplyDeleteछोटे बहर की गज़लें बड़ा लुभाती हैं...
अनु
आपकी यह बेहतरीन रचना बुधवार 27/02/2013 को http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जाएगी. कृपया अवलोकन करे एवं आपके सुझावों को अंकित करें, लिंक में आपका स्वागत है . धन्यवाद!
ReplyDeleteसारे शेर एक पर एक .
ReplyDeleteवाह ... बहुत ही बढिया।
ReplyDeleteआपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टि की चर्चा कल मंगलवार26/2/13 को चर्चाकारा राजेश कुमारी द्वारा चर्चा मंच पर की जायेगी आपका हार्दिक स्वागत है
ReplyDeleteगहन भाव लिए रचना मन को छू गयी |
ReplyDeleteबहुत खूब |
आशा
धूप में पानी..सिलसिला तो नया नहीं है पर अंदाज बिलकुल अलहदा है..कहने का..
ReplyDelete
ReplyDeleteबहुत गजब बहुत अच्छी रचना
आज की मेरी नई रचना
ये कैसी मोहब्बत है
खुशबू
उम्र ढल रही पलछिन
ReplyDeleteहाथ से गिरा क्या है ...
छोटी बहर की लाजवाब गज़ल ... हर शेर मायने लिए ... ओर ये शेर तो बहुत खास ...
सौंप जब दिया खुद को
ReplyDeleteहाथ फैसला क्या है
...बहुत खूब! बेहतरीन ग़ज़ल..
बढ़िया प्रभावशाली गज़ल ..
ReplyDeleteबधाई आपकी कलम को !
बहुत ही बेहतरीन गजल....
ReplyDelete:-)
प्रभावी अभिव्यक्ति..... बहुत सुंदर
ReplyDeleteधूप में जले पानी,
ReplyDeleteसिलसिला नया क्या है।
शानदार ग़ज़ल, लेकिन इस शे‘र का अंदाज़ कुछ अलग ही है...
बहुत बढ़िया।
shandar gazal,
ReplyDeleteshandar gazal
ReplyDeleteगुमशुदा ख़ुशी क्यूँकर
ReplyDeleteपूछ माजरा क्या है---waah sunder gajal gajab ka prayog
ReplyDeleteछोटे बहर की बहुत बढ़िया ग़ज़ल!