पिछले दिनों एक शब्द ‘अनुनाद’ बहुत सुनने को मिला | लोगों के अलग अलग विचार भी पढने को मिले तो लगा कि विज्ञान में पढ़े इस शब्द को फिर से समझा जाए | दो उदाहरण याद आते हैं एक रेडियो का और एक सैनिकों की ट्रेनिंग का |
रेडियो पर हम पसंदीदा कार्यक्रम सुनने के लिए उसे एक विशेष आवृत्ति पर सेट करते हैं | रेडियो स्टेशन से प्रसारित आवृत्ति और रेडियो सेट की आवृत्ति एक होने की दशा में ही हम मनपसंद प्रोग्राम सुन पाते हैं |
सैनिकों को ट्रेनिंग देते वक़्त यह कहा जाता है कि पुल खासतौर पर निलंबित पुल से गुजरते वक़्त वे एक सी कदमताल न रखें क्योंकि पुल की अपनी एक आवृत्ति होती है और अगर वह आवृत्ति कदमताल की आवृत्ति के समान हो जाए तो पुल के टूटने की सम्भावना बढ़ जाती है| ओपेरा गायकों के गाने से कांच के गिलास के टूट जाने की घटना भी अनुनाद से ही सम्बंधित है |
अनुनाद एक ऐसी घटना है जो अपने प्रभाव के घटित होने के लिए समान आवृत्ति की मांग करती है यानि अपनी-अपनी ढपली अपना-अपना राग तो अनुनाद के घटित होने के लिए अप्रभावी है |
अब बात करें अध्यात्म की जो ध्यान की वकालत करता है | ध्यान में हमारे दिमाग के कम्पनों की आवृत्ति ब्रह्माण्ड के कम्पनों की आवृत्ति से एकरूप (तन्मय) हो जाएं तो साधक परमानंद की अवस्था प्राप्त कर लेता है |
अनुनाद का परिणाम आनंददायी भी हो सकता है और विध्वंसात्मक भी | मेरा इस पोस्ट को लिखने का कारण है कि सोशल मीडिया पर एक-दूसरे को मूर्ख साबित करने का जो कम्पीटीशन चल रहा है वो भयानक है |जब हम किसी दूसरे को मूर्ख कह रहे होते हैं तो अगले के दिमाग में तरंगें ही उत्पन्न कर रहे होते हैं | अब दो विरोधी विचार रखने वालों की प्रतिकारात्मक तरंगें तन्मय हो कर विध्वंस ही पैदा करेंगी क्योंकि मूर्ख शब्द तो कॉमन है शब्द के प्रति उठने वाली भावनाओं की तरगें भी कॉमन हैं तो इन तरंगों का समान आवृत्ति हो जाना भी एक सामान्य घटना होगी और अनुनाद के रूप में विध्वंसात्मक घटना |
बहुत पीड़ा होती है जब देखते हैं कि महिलायें करवाचौथ पर जिस तरह एकत्र होकर कहानी सुनती हैं उसी तरह कोरोना वायरस कथा का सीन वायरल हो रहा है ,कहीं सामूहिक गीत गायन हो रहा है | विभिन्न चैनल जनता कर्फ्यू के दौरान 25 -30 लोगों को एकत्र कर कवरेज दे रहे हैं | अपने आसपास 20 लोगों का सैंपल चेक कीजिए अधिकतर लोगों ने घंटियाँ शंख इत्यादि कोरोना को भगाने के लिए बजाये न कि मेडिकल और प्रशासनिक कोरोना योद्धाओं के लिए | लोगों की गलतियाँ क्षम्य हो सकती हैं क्योंकि आज भी शिक्षित वर्ग के ग्रुप्स में तथाकथित चमत्कारों को 5-7 ग्रुप्स में फॉरवर्ड करने के उदाहरण सामने आते हैं तो शिक्षा पर सवाल उठते हैं |पर समाचार चैनल भी अपना दायित्व नहीं समझते ?? उनका यह प्रस्तुतिकरण उनकी गैर जिम्मेदारी को बताता है |
आइये इस मुश्किल समय में सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः के एक समान मन्त्र(विचारों) के अनुनाद से हम मानसिक शक्ति एकत्र कर इस कष्ट से मुक्ति पायें |मज़ाक में भी अन्धविश्वास और अफवाहों को बढ़ावा देने वाले विडियो फॉरवर्ड न करें |यथा संभव घर रूककर प्रशासन की मदद करें देश के प्रतिबद्ध सिपाहियों की तरह सबको सुरक्षा दें |
एक बार फिर मेडिकल और प्रशासनिक टीम के रूप में डटे योद्धाओं को नमन |
रेडियो पर हम पसंदीदा कार्यक्रम सुनने के लिए उसे एक विशेष आवृत्ति पर सेट करते हैं | रेडियो स्टेशन से प्रसारित आवृत्ति और रेडियो सेट की आवृत्ति एक होने की दशा में ही हम मनपसंद प्रोग्राम सुन पाते हैं |
सैनिकों को ट्रेनिंग देते वक़्त यह कहा जाता है कि पुल खासतौर पर निलंबित पुल से गुजरते वक़्त वे एक सी कदमताल न रखें क्योंकि पुल की अपनी एक आवृत्ति होती है और अगर वह आवृत्ति कदमताल की आवृत्ति के समान हो जाए तो पुल के टूटने की सम्भावना बढ़ जाती है| ओपेरा गायकों के गाने से कांच के गिलास के टूट जाने की घटना भी अनुनाद से ही सम्बंधित है |
अनुनाद एक ऐसी घटना है जो अपने प्रभाव के घटित होने के लिए समान आवृत्ति की मांग करती है यानि अपनी-अपनी ढपली अपना-अपना राग तो अनुनाद के घटित होने के लिए अप्रभावी है |
अब बात करें अध्यात्म की जो ध्यान की वकालत करता है | ध्यान में हमारे दिमाग के कम्पनों की आवृत्ति ब्रह्माण्ड के कम्पनों की आवृत्ति से एकरूप (तन्मय) हो जाएं तो साधक परमानंद की अवस्था प्राप्त कर लेता है |
अनुनाद का परिणाम आनंददायी भी हो सकता है और विध्वंसात्मक भी | मेरा इस पोस्ट को लिखने का कारण है कि सोशल मीडिया पर एक-दूसरे को मूर्ख साबित करने का जो कम्पीटीशन चल रहा है वो भयानक है |जब हम किसी दूसरे को मूर्ख कह रहे होते हैं तो अगले के दिमाग में तरंगें ही उत्पन्न कर रहे होते हैं | अब दो विरोधी विचार रखने वालों की प्रतिकारात्मक तरंगें तन्मय हो कर विध्वंस ही पैदा करेंगी क्योंकि मूर्ख शब्द तो कॉमन है शब्द के प्रति उठने वाली भावनाओं की तरगें भी कॉमन हैं तो इन तरंगों का समान आवृत्ति हो जाना भी एक सामान्य घटना होगी और अनुनाद के रूप में विध्वंसात्मक घटना |
बहुत पीड़ा होती है जब देखते हैं कि महिलायें करवाचौथ पर जिस तरह एकत्र होकर कहानी सुनती हैं उसी तरह कोरोना वायरस कथा का सीन वायरल हो रहा है ,कहीं सामूहिक गीत गायन हो रहा है | विभिन्न चैनल जनता कर्फ्यू के दौरान 25 -30 लोगों को एकत्र कर कवरेज दे रहे हैं | अपने आसपास 20 लोगों का सैंपल चेक कीजिए अधिकतर लोगों ने घंटियाँ शंख इत्यादि कोरोना को भगाने के लिए बजाये न कि मेडिकल और प्रशासनिक कोरोना योद्धाओं के लिए | लोगों की गलतियाँ क्षम्य हो सकती हैं क्योंकि आज भी शिक्षित वर्ग के ग्रुप्स में तथाकथित चमत्कारों को 5-7 ग्रुप्स में फॉरवर्ड करने के उदाहरण सामने आते हैं तो शिक्षा पर सवाल उठते हैं |पर समाचार चैनल भी अपना दायित्व नहीं समझते ?? उनका यह प्रस्तुतिकरण उनकी गैर जिम्मेदारी को बताता है |
आइये इस मुश्किल समय में सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः के एक समान मन्त्र(विचारों) के अनुनाद से हम मानसिक शक्ति एकत्र कर इस कष्ट से मुक्ति पायें |मज़ाक में भी अन्धविश्वास और अफवाहों को बढ़ावा देने वाले विडियो फॉरवर्ड न करें |यथा संभव घर रूककर प्रशासन की मदद करें देश के प्रतिबद्ध सिपाहियों की तरह सबको सुरक्षा दें |
एक बार फिर मेडिकल और प्रशासनिक टीम के रूप में डटे योद्धाओं को नमन |
सटीक।
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार
Deleteआपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (25-03-2020) को "नव संवत्सर-2077 की बधाई हो" (चर्चा अंक -3651) पर भी होगी।
ReplyDelete--
मित्रों!
आजकल ब्लॉगों का संक्रमणकाल चल रहा है। ऐसे में चर्चा मंच विगत दस वर्षों से अपने चर्चा धर्म को निभा रहा है।
आप अन्य सामाजिक साइटों के अतिरिक्त दिल खोलकर दूसरों के ब्लॉगों पर भी अपनी टिप्पणी दीजिए। जिससे कि ब्लॉगों को जीवित रखा जा सके।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
बहुत बहुत आभार आदरणीय
Deleteबहुत सुन्दर।
ReplyDeleteघर मे ही रहिए, स्वस्थ रहें।
कोरोना से बचें।
भारतीय नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ।
बहुत बहुत आभार आदरणीय
Deleteविचारोत्तेजक
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आदरणीय
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