मंडल कमीशन की रिपोर्ट आने पर आरक्षण नीति के विरुद्ध विनीत बाबू ने बड़ी जोरदार आवाज़ उठाई थी ।
अपने लच्छेदार भाषणों के बूते पर वे रातोंरात नेता बन गए । क्या विभाग क्या जनपदीय राजनीतिमें उनकी अच्छी साख बन गयी थी । आरक्षण सम्बन्धी हर बहस में वे योग्यता को आधार बनाये जाने की सिफारिश करते ।
आरक्षित वर्ग के किसी भी कर्मचारी को देख उनके अन्दर बैचैनी शुरू हो जाती ।
आठवीं बोर्ड में उनके बेटे को नक़ल में सहयोग न देने वाले अध्यापक का तबादला सुदूर गाँव में करवा दिया था । संयोग कहिये या दुर्योग वही अध्यापक महोदय कुछ साल बाद फिर टकरा गए । इस बार पी एस सी द्वारा आयोजित परीक्षा में वे वीक्षक थे । विनीत बाबू ने जोड़ तोड़ बैठाकरअध्यापक महोदय को परीक्षा से बाहर करवा दिया ।
....और .... विनीत बाबू के सुपुत्र को योग्यता के आधार पर नौकरी मिल गयी थी ।
स्वरचित रचनाएं..... भाव सजाऊं तो छंद रूठ जाते हैं छंद मनाऊं तो भाव छूट जाते हैं यूँ अनगढ़ अनुभव कहते सुनते अल्हड झरने फूट जाते हैं -वन्दना
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Monday, September 20, 2010
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आपकी बहुत बहुत आभारी हूँ कि अपना बहुमूल्य समय देकर आपने मेरा मान बढाया ...सादर