कल्पना को आधार बनाकर यथार्थ के नए धरातल गढे जा सकते हैं .कहीं न कहीं तो पहली बार चाँद पर उतरने का सपना देखा गया होगा भले ही यथार्थ में चाँद पर चरखा चलाती बुढिया न मिली हो ना ही कोई बूढा बाबा बच्चों के मामा के रूप मे मिला पर चंदा के घर जाने का सपना तो पूरा हुआ और आज वहाँ कॉलोनी बसाने की बात सोची जा रही है
सोचिये अगर मानव को पता होता कि चाँद हजारों किलोमीटर दूर है वहाँ न हवा है न पानी तो क्या इन तथ्यों के आधार पर कोई चंदा के घर जाने का सपना सजा सकता था
मेरा मानना है कि तथ्यात्मक जानकारी के साथ साथ यदि बालकों की कल्पना शक्ति का विकास किया जाए तो बालक का सर्वांगीण विकास स्वतः स्फूर्त होगा .आज पाठ्यक्रम और शिक्षा पद्धति मे तथ्यों की भरमार है और कल्पनाधारित संक्रियाएँ बहुत कम (नगण्य) .यहाँ तक कि हिंदी अंग्रेजी जैसे भाषाई पाठ्यक्रमों मे भी कल्पना आधारित प्रश्नों को आदर्शों की सीमा मे बाँध देते हैं कहीं सकारात्मक उत्तर अपेक्षित है तो नकारात्मक उत्तर को कतई स्वीकार नहीं किया जाता .
प्रत्येक सिक्के के दो पहलू होते हैं फिर भी कतिपय विद्वान मानते हैं कि कंप्यूटर युग में बच्चों को परियों और जादू के किस्सों से क्या सरोकार उन्हें ऐसे किस्सों से दूर रखा जाना चाहिए .
बेशक कोरी कल्पना मे बहते जाना एक नादानी है किन्तु तैरना सिखाने के लिए बच्चे को धारा मे तो नहीं छोड दिया जाता . उसे संरक्षित परिस्थितियों में प्रशिक्षण दिया जाता है ठीक उसी तरह पाठ्यक्रमों में भी कल्पना को उचित स्थान दिया जाना आवश्यक है .कंप्यूटर स्वयं कल्पना प्रसूत यंत्र है और कल्पना के लिए अनंत आकाश भी .इस अनंत आकाश में उड़ान के लिए पंख पसारने का हौसला हो तो ब्रह्मांड अपनी मुट्ठी में करना क्या मुश्किल है ?
मूर्तिपूजा जैसी अवधारणा के समर्थक भी है और अनेको उसके विरोधी भी दोनों पक्षों के अपने अपने तर्क हैं .मूति को आधार बनाने वालो का कथन है कि यह एकाग्रता में सहायक है तो दूसरी ओर मूर्तिपूजा के विरोधी इस तर्क को आधार-हीन मानते है .यहाँ न्याय करना कि दोनों में से कौन सही है कौन गलत यह हमारे अधिकार क्षेत्र में नहीं है लेकिन मध्यम मार्ग को अपनाते हुए यह स्वीकार करने में तो बुराई नहीं कि लक्ष्य प्राप्ति का साधन जो भी हो परिणाम सुन्दर होना चाहिए . एकलव्य यदि गुरू की मूर्ति में गुरू कल्पना से एक अच्छा धनुर्धर बन सकता है तो क्या जरूरी है कि द्रोण मनुष्य रूप में ही शिक्षा दें.
parinaam sundar to kya kalpna kya yatharth
ReplyDeleteसुन्दर
ReplyDeleteHindi Sahitya
sundar kavita
ReplyDeleteRegards
Rules