न जाने किस शह
में उसका रहमोकरम छुपा हो
मुमकिन है
बद्दुआ किसी की मेरे लिए दुआ हो
पासे तो हैं
ऊंट न जाने किस करवट बैठेंगे
खेलो तुम ऐसे
कि जैसे जीवन इक जुआ हो
खार भी दामन
पकड़ेंगे जब गुलशन से गुजरेंगे
भूल उन्हें यूँ
चल देना फूलों ने जैसे छुआ हो
जब दौरे तूफाँ
होंगे हम झुका के सर बैठेंगे
रहे भरम उसी के
डर से मैंने सजदा किया हो
किसी मंदिर की
हो चौखट या रहो में रहेंगे
है अरमां बस
इतना कि जीवन जलता एक दिया हो
रेगिस्तानों
में तो केवल वे ही फूल खिलेंगे
हर आंसू को
जिसने मरहम समझ लिया हो