अभी कहीं कोई
चोरी लूट धन हानि जैसी कोई घटना होती या वर्ग विशेष पर हमला होता तो शहर बंद का
आह्वान किया जाता राजनीतिक ढोंग रचना होता तो भारत बंद का आह्वान किया जाता पर देश
की हर महिला इन घटनाओं से आहत होकर भी ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं रखती कि बस अब बंद
करो मुझे बार बार अपमानित करना वर्ना मैं भी देश की धड़कन बंद कर सकती हूँ
बाजार.... जो
हमारे नैतिक मूल्यों को कुचलने का सबसे बड़ा षड्यंत्र रच रहा है मैं उसका विरोध
करती हूँ बाजार.... जिसकी मैं एक उपभोक्ता हूँ और चाहूँ तो मुझे व्यापार की एक वस्तु समझने वाली मानसिकता को चुटकियों
में नष्ट कर सकती हूँ
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हमारी बच्चियों को एक सुरक्षित आँगन की जरूरत है जहाँ वे कम से कम अपना बचपन तो जी सकें
आइये आज हम
कहें कि हमारी सुरक्षा हमें सबसे ज्यादा प्यारी है इसलिए अब हम तुम्हारे व्यापार
तभी चलने देंगे जब इस बारे में सरकार और विपक्ष एक राय होकर सही फैसला ले लेंगे