देखा रिश्तों का मेला
जहाँ थे
अलग अलग कीमत के लोग
सबसे अधिक थी कीमत उनकी
जिनकी ऊपरी फुनगी का
नहीं मिलता छोर
फैले हैं ऐसे
कि मूल जड़ भी लापता है
लेकिन शाखाएँ
टिका देते हैं
कहीं से भी
निकाल जड़ों को
जब जहाँ चाहिए होता है अवलंब
मध्यम कीमत के थे
वे लोग
जिनके मूल तना
और पत्तियां
सब स्पष्ट होते है
इनके
सहजीवी होने का भाव
उत्सवों की शोभा बनता है
और
सबसे कम होती है
कीमत उनकी
कीमत उनकी
जिनकी न जड़ होती है
न पत्तियाँ
और
परमुखापेक्षी हो कर
बिताते हैं जीवन
आक्रांत रहते हैं
बड़े वृक्ष इनसे
इनकी कीमत
मिलती है केवल तभी
जब भीड़ की सेवा में
भीड़ की जरूरत होती है
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