Tuesday, October 13, 2015

या देवी सर्वभूतेषु तुष्टिरूपेण संस्थिता।
 नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:

या देवी सर्वभूतेषु मातृरूपेण संस्थिता। 
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:

जिस माटी से चूल्हा बनाती है उसी से गण नायक रचती है ...... 

कक्षा 5 की छात्रा द्वारा बिना किसी ट्रेनिंग के खूबसूरत प्रतिमा का सृजन

Followers

कॉपी राईट

इस ब्लॉग पर प्रकाशित सभी रचनाएं स्वरचित हैं तथा प्रतिष्ठित पत्र पत्रिकाओं यथा राजस्थान पत्रिका ,मधुमती , दैनिक जागरण आदि व इ-पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुकी हैं . सर्वाधिकार लेखिकाधीन सुरक्षित हैं