चमकते हुए तारों को आँखों में पनाह दे,
ना किस्मत से इनको जोड और एतराज दे ।
दिल पर उग आये अनचाहे मकडी के जाले,
पोंछ कर इनको हर रिश्ते को नई निगाह दे ।
कभी जमीं तो कभी आसमाँ को तरसते लोग,
होगा चाँद मुट्ठी में जडों पे ऐतबार दे ।
मुमकिन है राम सा भाई मिले कृष्ण सा सखा,
अपनी आस्था विश्वास को फिर से निखार दे ।
ना किस्मत से इनको जोड और एतराज दे ।
दिल पर उग आये अनचाहे मकडी के जाले,
पोंछ कर इनको हर रिश्ते को नई निगाह दे ।
कभी जमीं तो कभी आसमाँ को तरसते लोग,
होगा चाँद मुट्ठी में जडों पे ऐतबार दे ।
मुमकिन है राम सा भाई मिले कृष्ण सा सखा,
अपनी आस्था विश्वास को फिर से निखार दे ।
इतिहास की भूलों से ये सीखेंगे भला क्या,
कहते हैं आगे की सुध ले पिछली बिसार दे ।
कहते हैं आगे की सुध ले पिछली बिसार दे ।