देख कर हवाओं की
मुखालफत
पंछियों के पर
खुलने लगे थे
खुलने लगे थे
अनछुई ऊँचाइयों को
छूने का संकल्प
मन की गागर में
आलोड़ित होते होते
बन चुका था
एक ज्वार
एक ज्वार
तिनकों के घोंसले
अब परों को ना बाँध पाएँगे
पुकारता है
सुनहरा रश्मि पुंज
अँधेरों को ठेलते हुए
कर लेनी है मुट्ठी में
अपने हिस्से की रोशनी
और भर लेनी है डैनों में
इतनी शक्ति
कि कोई ब्लैक होल
निगल न सके
हौसलों को
और यह
मात्र गर्जना से संभव नहीं
भरनी होगी
स्वार्थहीन
और आडम्बर से रहित
एक उड़ान
बना देना होगा
एक रास्ता
आसमान तक
पीढ़ियों के
अनुगमन के लिये
अनुगमन के लिये
चाहिए आत्मबल इतना
कि
कि
लडखडाएं साँसें
तो
पथ विचलित न कर दे
पथ विचलित न कर दे
लुभावने
आश्वासनों की
आश्वासनों की
शापित बैसाखी कोई