Thursday, June 23, 2011

असीम तुम

असीम तुम आकाश
पाखी बन मैं उडूं

विशाल तुम समंदर
अंक की सीप बनूँ

सलोना वह सपना
देखूं मैं नींद लूं

गंध इक मनभावन
सुवासित करे मानस

सुबह की मीठी धूप
हथेली में भर लूं

असीम तुम आकाश
पाखी बन मैं उडूं

Sunday, June 19, 2011

रिश्ता

साथ तेरा मेरा

धूप बारिश सा

यूँ तो अलग है

अस्तित्व दोनों का

किन्तु संग मिल बिखराते

सप्त रंग इन्द्रधनुष के

चाँदनी उंडेलती घडों शीतलता

रवि स्थित प्रज्ञ बन देता है प्रेरणा

किन्तु तुमने भी सराहा

गगन पट सांध्य समय का

हमराह चलते दोराहे पर किसी

राहे जुदा हो सकती हैं हमारी

किन्तु रिश्ता है हमारा

लक्ष्य और शुभेच्छा सा

Thursday, June 9, 2011

आम आदमी

वह चलता है

सड़क पर

सदा नियम से

बायीं ओर

अक्सर ठेल दिया जाता है

अनियंत्रित ओवेरटेक करते

वाहनों के द्वारा

त्रस्त है अतिक्रमण से

हाशिए पर रेंगता आदमी

संभलता सरकता

जीता है

कनागत के कौवे की तरह

चुनाव के बाद

आम आदमी

Monday, June 6, 2011

गज़ल(मुहब्बत या कि अदावत)

मुहब्बत या कि अदावत ये क्या चाहता है

खबर है मेरा रकीब मुझसा होना चाहता है


लगाकर बाहर से सांकल इक रोज चला गया था

पुकारता है मुसल्सल वो आना चाहता है


धरती से अब तो चाँद सितारे हैं आगे मंजिल

आदमीयत से मगर इंसा भागना चाहता है


हूँ मैं गुनाहगार तेरे निशाने पर भी मैं हूँ

क्यूंकर तू रस्में दोस्ती की निभाना चाहता है


एहसान यूँ जताए है एक आवारा बादल

सूखा मन रीती गागर से भिगोना चाहता है

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