पीले
सलवटों भरे कुरते में
अस्तित्व समेटे
खंडहर नहीं है वो
बस कुछ बरसों से
पलस्तर के अभाव में
मुरझा गया है
झांक कर देखो तो
एक भरी पूरी दुनिया
एक उपस्थिति है वो
अतीत को वर्तमान से मिलाता हुआ
कांपती आवाज़ में
वर्तमान के
अतीत हो जाने की कथा कहता हुआ
और हम
अतीत हो जाने की कल्पना से
डरे सहमे
नहीं सुनना चाहते
वह आवाज़
भविष्य को वर्तमान बनाने की होड में
बेतहाशा भागते हुए
वर्तमान ......
जिसे अंततः अतीत हो जाना है
और झेलनी है
खंडहर सी
मर्माहत वेदना
इस सच को जितनी स्वीकार लिया जाये जीना आसान हो जाता है……………सुन्दर रचना।
ReplyDeletevatrmaan jise antatah ateet hona hai... dil ko chhuti rachna
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