चमकते हुए तारों को आँखों में पनाह दे,
ना किस्मत से इनको जोड और एतराज दे ।
दिल पर उग आये अनचाहे मकडी के जाले,
पोंछ कर इनको हर रिश्ते को नई निगाह दे ।
कभी जमीं तो कभी आसमाँ को तरसते लोग,
होगा चाँद मुट्ठी में जडों पे ऐतबार दे ।
मुमकिन है राम सा भाई मिले कृष्ण सा सखा,
अपनी आस्था विश्वास को फिर से निखार दे ।
ना किस्मत से इनको जोड और एतराज दे ।
दिल पर उग आये अनचाहे मकडी के जाले,
पोंछ कर इनको हर रिश्ते को नई निगाह दे ।
कभी जमीं तो कभी आसमाँ को तरसते लोग,
होगा चाँद मुट्ठी में जडों पे ऐतबार दे ।
मुमकिन है राम सा भाई मिले कृष्ण सा सखा,
अपनी आस्था विश्वास को फिर से निखार दे ।
इतिहास की भूलों से ये सीखेंगे भला क्या,
कहते हैं आगे की सुध ले पिछली बिसार दे ।
कहते हैं आगे की सुध ले पिछली बिसार दे ।
दिल पर उग आये अनचाहे मकडी के जाले,
ReplyDeleteपोंछ कर इनको हर रिश्ते को नई निगाह दे ।
aameen...
सुन्दर गज़ल्।
ReplyDeletebhaut khubsurat gazal....
ReplyDeleteइतिहास की भूलों से ये सीखेंगे भला क्या,
ReplyDeleteकहते हैं आगे की सुध ले पिछली बिसार दे ।
बहुत खूब ...
दिल पर उग आये अनचाहे मकडी के जाले,
ReplyDeleteपोंछ कर इनको हर रिश्ते को नई निगाह दे । ....सुन्दर गजल बधाई
वन्दना जी बहुत अच्छा लिखती हैं आप बधाई और शुभकामनायें |
ReplyDeleteवन्दना जी बहुत अच्छा लिखती हैं आप बधाई और शुभकामनायें |
ReplyDeletepahli baar aapke blog par aai hoon.bahut achchi ghazal padhi.ek kavita lautna chahta hoon padhi dil ko choo gai.
ReplyDeletebahut badiya rachna..
ReplyDeletebahut achha laga aapke blog par aana..
Haardik shubhkamnayen!
बढ़िया ग़ज़ल...
ReplyDeleteधन्यवाद
http://www.aarambhan.blogspot.com
बहुत सुन्दर रचना
ReplyDeleteवाह ...बहुत ही अच्छी रचना ..आभार ।
ReplyDeleteउम्दा गजल ...
ReplyDeleteकल 10/08/2011 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
ReplyDeleteधन्यवाद!
दिल पर उग आये अनचाहे मकडी के जाले,
ReplyDeleteपोंछ कर इनको हर रिश्ते को नई निगाह दे ।
बहुत खूबसूरत गज़ल
सुन्दर ग़ज़ल....
ReplyDelete'मुमकिन है राम सा भाई मिले कृष्ण सा सखा,
ReplyDeleteअपनी आस्था विश्वास को फिर से निखार दे ।'
मैंने दिया अपने विश्वास को निखार और....इससे ज्यादा पा लिया.शब्दों को जी जाओ.....लिखना शब्दों का खेल नही.इन्हें जीना सीखना....जीवन को खूबसूरत बनाना है.
अच्छा लिखती हो.मुझे खुशी है कि राष्मिप्रभाजी के ब्लॉग के मार्फत में तुम तक तो पहुँच पाई ...वर्ना.. दुःख होता.
'मुमकिन है राम सा भाई मिले कृष्ण सा सखा,
ReplyDeleteअपनी आस्था विश्वास को फिर से निखार दे ।'
मैंने दिया अपने विश्वास को निखार और....इससे ज्यादा पा लिया.शब्दों को जी जाओ.....लिखना शब्दों का खेल नही.इन्हें जीना सीखना....जीवन को खूबसूरत बनाना है.
अच्छा लिखती हो.मुझे खुशी है कि राष्मिप्रभाजी के ब्लॉग के मार्फत में तुम तक तो पहुँच पाई ...वर्ना.. दुःख होता.