स्वरचित रचनाएं..... भाव सजाऊं तो छंद रूठ जाते हैं छंद मनाऊं तो भाव छूट जाते हैं यूँ अनगढ़ अनुभव कहते सुनते अल्हड झरने फूट जाते हैं -वन्दना
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Monday, January 9, 2012
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इस ब्लॉग पर प्रकाशित सभी रचनाएं स्वरचित हैं तथा प्रतिष्ठित पत्र पत्रिकाओं यथा राजस्थान पत्रिका ,मधुमती , दैनिक जागरण आदि व इ-पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुकी हैं . सर्वाधिकार लेखिकाधीन सुरक्षित हैं
गौरैया भी
ReplyDeleteपँख पसारेगी ही ....हाँ प्यारी गौरैया ... आकाश तुम्हारा ही है
बहुत ही सुन्दर... कुछ अलग सी रचना...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर...
ReplyDeleteप्यारे और सुन्दर एहसास ...
ReplyDeleteबहुत सही।
ReplyDeleteसादर
गौरैया भी
ReplyDeleteपँख पसारेगी ही .....
यकीनन पंख पसारना ही होगा ..
बहुत सुन्दर
वाह बहुत बढ़िया!
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल बुधवार के चर्चा मंच पर भी होगी!
सूचनार्थ!
बहुत सुन्दर प्रस्तुति ।
ReplyDeleteमेरी नई कविता देखें ।
मेरी कविता:मुस्कुराहट तेरी
क्या कहने हैं हौसलों की बुलंदी के और परवाज़ हौसले से ही भरी जाती है .
ReplyDeleteअतीत के बाज और वर्तमान की गौरया... वाह सुन्दर बिम्ब. इस ब्लॉग को फालों कर रहा हूं, अब गूगल रीडर से नये पोस्टों को बिना उपस्थिति का आभास दिलाए पढ़ते रहूंगा.
ReplyDeleteऔर हौसला की उड़ान भी भरेगी..
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