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Friday, January 27, 2012

पवन बसंती




कण कण के श्रृंगार हुए हैं
मौसम के मनुहार हुए हैं

मन बौराई आम्र मंजरी
सपने हार सिंगार हुए हैं

मुदित हुआ हर रोम रोम
अंग फूले कचनार हुए हैं

छूकर गुजरी पवन बसंती
पुष्प पीत रतनार हुए हैं

रंगों के मेले धरती पर
इन्द्रधनुष साकार हुए हैं

क्यारी क्यारी मधुकर नंदन
गुंजन मधुर सितार हुए हैं

तितली की पैंजनिया छनकी
आँगन फाग धमार हुए हैं


डाल डाल कोयलिया काली
मन हुलसित मतवार हुए हैं 



                                                                       

19 comments:

  1. उम्दा प्रस्तुति…………बसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनायें।

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  2. बहुत ही बढ़िया ।

    बसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएँ।


    सादर

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  3. सुन्दर अभिव्यक्ति......

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  4. khila mann, khili prakriti ... basant kee muskaan hai her taraf

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  5. बहुत खूब! भावों को शब्दों में लाज़वाब संजोया है..बसन्त पंचमी की हार्दिक शुभकामनायें!

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  6. बसंत पर खूबसूरत गीत ... शुभकामनाएं

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  7. बहुत ही सुन्‍दर प्रस्‍तुति ।
    आपको वसंत पंचमी की ढेरों शुभकामनाएं!

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  8. बहुत सुन्‍दर प्रस्‍तुति... बसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएँ

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  9. बहुत ही सुंदर !
    शब्दों से ध्वनि और चित्र दोनों उभर रहे हैं।

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  10. पवन वसंती कविता पढ़कर
    दिल से हम आभार हुये हैं,

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  11. bahut hisundar aur manmohak rchna,bdhaai....

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  12. सुन्दर बसन्तिक रचना...बधाई..

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  13. वासंती बन गई है पूरी रचना.वाह वाह.

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  14. बहुत ही सुन्‍दर भाव संयोजन ।

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  15. बसंती पवन है तो फिर मतवाला मन भला कैसे न हो ..? मन-मुदित कर रही है आपकी लेखनी .

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  16. 'shabd' chayan bahut shaandar hai. geyta mein koi kami nahi hai. mohak prastuti!

    mudit huaa har rom rom, ang phoole kachnaar huei hain, bahut sundar.

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आपकी बहुत बहुत आभारी हूँ कि अपना बहुमूल्य समय देकर आपने मेरा मान बढाया ...सादर