कण कण के श्रृंगार हुए हैं
मौसम के मनुहार हुए हैं
मन बौराई आम्र मंजरी
सपने हार सिंगार हुए हैं
मुदित हुआ हर रोम रोम
अंग फूले कचनार हुए हैं
छूकर गुजरी पवन बसंती
पुष्प पीत रतनार हुए हैं
रंगों के मेले धरती पर
इन्द्रधनुष साकार हुए हैं
क्यारी क्यारी मधुकर नंदन
गुंजन मधुर सितार हुए हैं
तितली की पैंजनिया छनकी
आँगन फाग धमार हुए हैं
डाल डाल कोयलिया काली
मन हुलसित मतवार हुए हैं